''आपके पति को एक तरह के घर्राटे आते होंगे। मेरे पति को पांच तरह के घर्राटे आते हैं। यदि आपके घर में पुराना सोफा है तो oxl पर डाल दें। हमारा ड्राइंग रूम खाली पड़ा है।'' एक घर्राटेबाज पति की दुखी पत्नी की कहानी सुनाते हुए oxl आपको अपना पुराना सोफा बेचने की अपील करता है। यह oxl का इमोशनल अत्याचार नहीं तो क्या है ?
दरअसल, 'इमोशनल अत्याचार' कौन नहीं करता। हालांकि, तरीके अलग अलग होते हैं। यदि पहली बेटी के बाद महिला जल्दी जल्दी दूसरे बच्चे के लिए कमर नहीं कसे तो परिवार की तरफ से इमोशनल अत्याचार शुरू हो जाता है। और अत्याचार के आगे महिला को घुटने टेकने पड़ते हैं। इस महिला की दुविधा यह है कि यह oxl पर आपको पुराना बच्चा डालने की अपील नहीं कर सकी। आखिर मामला खून का है। खानदान के वारिस का है। विवाहित महिलाओं पर इमोशनल अत्याचार तो उस समय भी सीमा पार कर जाता है। जब कोई साध्वी बिना मां बने, महिलाओं को चार चार बच्चे पैदा करने की सलाह देती है।
चुनावों के दिनों में नेता इमोशनल अत्याचार करना शुरू कर देते हैं। हालांकि, अत्याचार तो नेता अक्सर करते हैं। चुनावों के बाद उनकी गैर मौजूदगी सबसे बड़ा अत्याचार होता है। इस अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाएं तो सरकारी प्रशासन का अत्याचार सहना पड़ता है। कोई अपने हारे हुए नेता को oxl पर भी नहीं डालेगा क्योंकि उनको पता है कि पुराने कैलेंडर की तरह निठल्ले नेता को कोई नहीं खरीदेगा। जो जीता हुआ है, उसको खरीदना, oxl के ग्राहकों की पहुंच में नहीं है।
अंत में.....
गोवा के मंत्री रमेश तावड़कर ने कहा है कि राज्य सरकार ऐसे सेंटर बनाने की तैयारी कर रही है, जहां समलैंगिक युवाओं का इलाज कर उन्हें 'सामान्य' बनाया जाएगा। तावड़कर ने राज्य सरकार की युवा पॉलिसी की घोषणा के दौरान यह बात कही। कहीं यह भी तो समलैंगिक युवाओं पर इमोशनल अत्याचार तो नहीं है।
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