आधुनिक समय को देखते हुए तो कुछ ऐसा ही लग रहा है। आप माने या न माने, मगर, वास्तव में भगवान को (ईश्वर, गॉड, अल्लाह, राम, वाहेगुरू) अपने अनुनायियों से ख़तरा है। मगर, समस्या यह है कि भगवान स्वयं अमिताभ बच्चन की तरह सुरक्षा की मांग नहीं कर सकता। कुछ लोग तो अमिताभ बच्चन को भी भगवान घोषित कर चुके हैं। उनके चरण छूते हैं, उनसे आशीर्वाद मांगते हैं। उनका एक स्पर्श चाहते हैं।
मगर, उनका यह भगवान अपने अनुयायियों से तंग आकर अपने घर की सुरक्षा बढ़ा सकता है। जैसे, पिछले दिनों हुआ। अमिताभ बच्चन ने अनुयायियों (फैन) की आड़ में कुछ शरारती तत्वों के आने की बात कहकर घर की सुरक्षा बढ़ा ली। यह भगवान जीवित है। बोलता भी है। कुछेक सीमित लोगों का भगवान है। इसलिए सुरक्षा मांग भी समय रहते कर ली।
मगर, जो एक बड़े समूह का भगवान है, वो आकर कैसे कहे मुझे सुरक्षा चाहिए, क्योंकि उसके अनुयायियों के साथ साथ उनके परिसर में कुछ शरारती तत्व भी आ घुसे हैं। अब स्थिति कुछ तरह की बन चुकी है कि भगवान भी आने से डरने लगा है। स्वयं की घोषणा करने से भी कन्नी काट रहा है क्योंकि यह शरारती तत्व उसको नहीं छोड़ेंगे। हालांकि, यह तत्व उसकी रक्षा का दावा करते हैं। कहते हैं कि भले ही आदमी को खड़े रहने के लिए दो हाथ जमीन चाहिए और लेटने के लिए दो गज, मगर, हम आपका ध्वज पूरे विश्व में लहराएंगे।
उस सर्व शक्तिमान ने देखा है। सूली पर लटके जीसस को। 'अनल हक' का संदेश देने वाले मंसूर को। गरम तवी पर बैठे गुरू अर्जुन देव को। दिल्ली का चांदनी चौंक में श्री गुरू तेग बहादुर को। जहर लेते हुए सुकरात को। दुनिया की अनगिनत महान आत्माओं को, जिनको समाज ने सताया।
हिन्दु समुदाय विस्तार पाना चाहता है। ईसाई समुदाय विस्तार पाना चाहता है। इस्लाम विश्व पर अपनी हुकूमत चाहता है। सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि सरल हृदय के अनुयायी, जो इन धर्मों में हैं। उनको विस्तार से प्रेम नहीं, उनको अपने धर्म से, उनको अपने गुरू के दिखाए रास्ते से प्रेम है। जो उनको शांति की तरफ लेकर जाता है।
मगर, यहां भी स्थिति अमिताभ बच्चन के बंग्ले जैसी हो चुकी है। जहां पर कभी कभी सरल हृदय के लोगों के साथ कुछ शरारती तत्व घुस जाते हैं, जो अनुयायियों की पूरी आस्था पर पानी फेर देते हैं। द वाइट टाइगर में अरविंद अडीगा लिखते हैं, ''जब बोधगया से बुद्ध गुजरे होंगे, वो चले नहीं, दौड़े होंगे।'' इस पंक्ति के जरिये अरविंद अडीगा ने परिस्थिति पर एक व्यंग कसा था, लेकिन, आज की स्थितियां देखकर उनका व्यंग भी सत्य मालूम पड़ता है।
भारत विश्व में अध्यात्म के कारण जाना जाता है। और उम्मीद करता हूं कि यह इसके लिए ही जाना जाए। कभी किसी भी भारतीय को ट्विटर या फेसबुक पर यह लिखना न पड़े कि भारत की इज्जत करो, मैं भारतीय हूं, जैसे कि आज इस्लाम के लोगों को कुछ शरारती तत्वों के कारण ट्विटर पर अपना स्पष्टीकरण देना पड़ रहा है।
आज विश्व स्तर पर ट्विटर का ट्रेंड है #RespectForMuslims। इस ट्रेंड के साथ मुस्लिम समुदाय के लोग इस्लाम को समझने का निवेदन कर रहे हैं। वो बता रहे हैं कि उनका धर्म शांति फैलाने में विश्वास रखता है। वो किसी मासूम की हत्या करने में यकीन नहीं रखते और न इस्लाम इसकी आज्ञा देता है। मगर, इस्लाम के कट्टरपंथियों के कारण आज पूरा इस्लाम बदनाम हो रहा है और बदलाव के मुहाने पर खड़ा है।
मुंह में राम बगल में छुरी एक कहावत है। मगर, आज के दौरान में एक नई कहावत उभर रही है। हाथ में हथियार, मुंह में अल्लाह। दरअसल, यह लोग न तो सच्चे इस्लामी हैं और न ही सच्चे हिंदू हैं, न सिख हैं, न ईसाई हैं, यह केवल सत्ता के भूखे लोग हैं। उनको विस्तार हमेशा कम ही पड़ता है।
इनका किसी भी महात्मा से किसी भी प्रकार का नाता नहीं, यह तो केवल और केवल अपना स्वार्थ साधते हैं। और बदनाम होते हैं आमजन। चरमपंथ ने आज तक विश्व को कुछ नहीं दिया। चाहे वो म्यांमार में हो, श्रीलंका में हो, सीरिया में हो। पाकिस्तान में हो। या भारत में उभर रहा हो। चरमपंथ विनाश की तस्वीर छोड़ जाता है, जिसको दिखाकर स्वार्थी लोग फिर से चरम पंथ को हवा देते हैं।
मगर, उनका यह भगवान अपने अनुयायियों से तंग आकर अपने घर की सुरक्षा बढ़ा सकता है। जैसे, पिछले दिनों हुआ। अमिताभ बच्चन ने अनुयायियों (फैन) की आड़ में कुछ शरारती तत्वों के आने की बात कहकर घर की सुरक्षा बढ़ा ली। यह भगवान जीवित है। बोलता भी है। कुछेक सीमित लोगों का भगवान है। इसलिए सुरक्षा मांग भी समय रहते कर ली।
मगर, जो एक बड़े समूह का भगवान है, वो आकर कैसे कहे मुझे सुरक्षा चाहिए, क्योंकि उसके अनुयायियों के साथ साथ उनके परिसर में कुछ शरारती तत्व भी आ घुसे हैं। अब स्थिति कुछ तरह की बन चुकी है कि भगवान भी आने से डरने लगा है। स्वयं की घोषणा करने से भी कन्नी काट रहा है क्योंकि यह शरारती तत्व उसको नहीं छोड़ेंगे। हालांकि, यह तत्व उसकी रक्षा का दावा करते हैं। कहते हैं कि भले ही आदमी को खड़े रहने के लिए दो हाथ जमीन चाहिए और लेटने के लिए दो गज, मगर, हम आपका ध्वज पूरे विश्व में लहराएंगे।
उस सर्व शक्तिमान ने देखा है। सूली पर लटके जीसस को। 'अनल हक' का संदेश देने वाले मंसूर को। गरम तवी पर बैठे गुरू अर्जुन देव को। दिल्ली का चांदनी चौंक में श्री गुरू तेग बहादुर को। जहर लेते हुए सुकरात को। दुनिया की अनगिनत महान आत्माओं को, जिनको समाज ने सताया।
हिन्दु समुदाय विस्तार पाना चाहता है। ईसाई समुदाय विस्तार पाना चाहता है। इस्लाम विश्व पर अपनी हुकूमत चाहता है। सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि सरल हृदय के अनुयायी, जो इन धर्मों में हैं। उनको विस्तार से प्रेम नहीं, उनको अपने धर्म से, उनको अपने गुरू के दिखाए रास्ते से प्रेम है। जो उनको शांति की तरफ लेकर जाता है।
मगर, यहां भी स्थिति अमिताभ बच्चन के बंग्ले जैसी हो चुकी है। जहां पर कभी कभी सरल हृदय के लोगों के साथ कुछ शरारती तत्व घुस जाते हैं, जो अनुयायियों की पूरी आस्था पर पानी फेर देते हैं। द वाइट टाइगर में अरविंद अडीगा लिखते हैं, ''जब बोधगया से बुद्ध गुजरे होंगे, वो चले नहीं, दौड़े होंगे।'' इस पंक्ति के जरिये अरविंद अडीगा ने परिस्थिति पर एक व्यंग कसा था, लेकिन, आज की स्थितियां देखकर उनका व्यंग भी सत्य मालूम पड़ता है।
भारत विश्व में अध्यात्म के कारण जाना जाता है। और उम्मीद करता हूं कि यह इसके लिए ही जाना जाए। कभी किसी भी भारतीय को ट्विटर या फेसबुक पर यह लिखना न पड़े कि भारत की इज्जत करो, मैं भारतीय हूं, जैसे कि आज इस्लाम के लोगों को कुछ शरारती तत्वों के कारण ट्विटर पर अपना स्पष्टीकरण देना पड़ रहा है।
आज विश्व स्तर पर ट्विटर का ट्रेंड है #RespectForMuslims। इस ट्रेंड के साथ मुस्लिम समुदाय के लोग इस्लाम को समझने का निवेदन कर रहे हैं। वो बता रहे हैं कि उनका धर्म शांति फैलाने में विश्वास रखता है। वो किसी मासूम की हत्या करने में यकीन नहीं रखते और न इस्लाम इसकी आज्ञा देता है। मगर, इस्लाम के कट्टरपंथियों के कारण आज पूरा इस्लाम बदनाम हो रहा है और बदलाव के मुहाने पर खड़ा है।
मुंह में राम बगल में छुरी एक कहावत है। मगर, आज के दौरान में एक नई कहावत उभर रही है। हाथ में हथियार, मुंह में अल्लाह। दरअसल, यह लोग न तो सच्चे इस्लामी हैं और न ही सच्चे हिंदू हैं, न सिख हैं, न ईसाई हैं, यह केवल सत्ता के भूखे लोग हैं। उनको विस्तार हमेशा कम ही पड़ता है।
इनका किसी भी महात्मा से किसी भी प्रकार का नाता नहीं, यह तो केवल और केवल अपना स्वार्थ साधते हैं। और बदनाम होते हैं आमजन। चरमपंथ ने आज तक विश्व को कुछ नहीं दिया। चाहे वो म्यांमार में हो, श्रीलंका में हो, सीरिया में हो। पाकिस्तान में हो। या भारत में उभर रहा हो। चरमपंथ विनाश की तस्वीर छोड़ जाता है, जिसको दिखाकर स्वार्थी लोग फिर से चरम पंथ को हवा देते हैं।
महात्मा शब्द का अर्थ बहुत अधिक व्यापक हो गया है - कहाँ-कहाँ तक पहुँच रही हैं इसकी सीमाएँ !
ReplyDeleteअंधभक्ति व्यक्ति से कुछ भी करा सकती है। आज कल बड़ा अजीब सा सुन के लग रहा है की भगवन इतने असहाय हो गए हैं उन्हें सुरक्षा की आवश्यकता प्रतीत हो रही है।
ReplyDeleteAap se sahmat abhishek ji...sunder aalekh....badhayi
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