Tuesday, January 27, 2015

जाते जाते ओबामा भावुक कर गए

अमेरिका के राष्‍ट्रपति बराक हुसैन ओबामा को मेरा नमस्‍कार। मुझे ख़बर मिली कि आज आप साउदी अरब को निकल चुके हैं। यदि आप रूकते भी तो मैं कौन सा आने वाला था क्‍योंकि उसके लिए भारतीय जनता पार्टी की सदस्‍यता लेनी पड़ती, हालांकि, यह केवल मिसेड कॉल से मिल जाती है। मगर, मिसेड कॉल वाली सदस्‍यता किसी काम की नहीं क्‍योंकि बीजेपी केवल जनाधार वाले या कांग्रेसी नेताओं को पैराशूट से उतारती है। मैं इन दोनों में शामिल नहीं हूं। आपको हंसी आ रही है। मैं चिंतित हो रहा था, कहीं आपको भी दिल्‍ली विधान सभा चुनावों की समाप्‍ति तक भारत में न रोक लिया जाए। आप से अधिक चिंता उन कुत्‍तों की थी, जो आपके सुरक्षा दस्‍तों के साथ आए थे, कहीं लव जिहाद में न पड़ जाएं क्‍योंकि मीडियाई ख़बरों में एक देसी का कुत्‍ता चल रहा था, और आपके विदेशी कुत्‍ते लापता थे। सुना था कि आपकी सुरक्षा व्‍यवस्‍था इतनी कड़ी है कि उसमें परिंदा भी पर नहीं मार सकता, चल छोड़ो, यह तो आम कुत्‍ता था, परिंदा थोड़ी ना।

अतिथि देवो भव: अर्थात "अतिथि भगवान होता है"। शायद, भारत से वापिस लौटते हुए आपको इस बात का एहसास हो गया था। इसलिए आपने अंत में जो 'धार्मिक आधार पर नहीं बंटना चाहिए देश' नसीहत दी, वो बड़ी सराहनीय थी। मगर मेरे मन में एक सवाल उठ रहा है कि यह बात आप नरेंद्र मोदी को अकेले में भी कह सकते थे। कहीं यह आइडिया भी उनका तो नहीं था, क्‍योंकि आजकल उनकी कोई सुनता ही नहीं। उनकी एक चेतावनी आती है तो सामने से विपरीत में तीन बयान आ जाते हैं। मानो, महाभारत चल रहा हो। आप एक शक्‍तिशाली तीर छोड़ेंगे तो सामने बचाव में तीन चार तीर एक साथ छोड़ दिए जाएंगे। यह खूबसूरत सुर्खियां बटोरने वाला युद्ध आपके आने और दिल्‍ली विधान सभा चुनाव की घोषणा से पहले बराबरी पर चल रहा था। हमारा मीडिया महाभारत के संजय की भूमिका निभा रहा था। हालांकि, संजय दूरदर्शन की तरह केवल सूचना प्रदान करता था। मगर, आधुनिक संजय मिर्च मसाला डालकर एक टीआरपी वाली चटाकेदार डिश परोसता है, ताकि कई दिनों तक सी सी की आवाज आती रहे।

अब आप तो अपना एयर फोर्स वन लेकर निकल लिए, अब हम ही जानते हैं, आपके रचे आभा मंडल से बाहर आने के लिए हमारे आधुनिक संजय को कितना समय लगेगा। लहसुन प्‍याज की तरह अब आपको हर सब्‍जी में परोसा जाएगा। आपको यकीन न हो तो ऑनलाइन आप हमारे आधुनिक संजयों का प्रसारण सुन एवं देख सकते हैं, क्‍योंकि आप धृतराष्‍ट्र की तरह अंधे थोड़ी न हैं। आपको हंसी आएगी। आपको हमने दिल्‍ली चुनावों में भी घसीट लिया। भारतीय जनता पार्टी की मुख्‍यमंत्री पद की उम्‍मीदवार किरण बेदी ने कहा, बराक ओबामा ऐसे न थोड़ी आते मील दूर से चलकर। जनाब देखते हैं, आप हमारे राजनेताओं को। आप भारत को गरीब देशों में गिन सकते हैं, मगर, राजनीति में इनका तोड़ नहीं है, सच में आपके पास। सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट आपके वहां से चलती है, मगर, उस पर चर्चाएं हम करते हैं। यदि आप इंटरनेट पर होने वाली चौपाल चर्चा छोड़ दें, तो तुम्‍हारा मार्क जुकरबर्ग, वो फेसबुक वाला छोकरा, रोड़पति हो जाएगा, आगे से सिर्फ ''क'' निकल जाएगा। ''क'' का महत्‍व समझते हैं आप।

आप भी सोच रहे होंगे कहां दिल्‍ली के चुनाव, कहां मैं व्‍हाइट हाउस का निवासी। जनाबेहुसैन मोदी का बस नहीं चल रहा था, वरना आपका व्‍हाइट हाउस पर भी छीन लें। यदि ग्‍लोबल चुनाव हों और एक व्‍यक्‍ति को ग्‍लोबल का मुखिया नियुक्‍त करना हो तो आप क्‍या सोचते हैं ? कि हमारे प्रधानमंत्री, जो आपको बड़ी गर्मजोशी से मिले, आपको जीतने देंगे। मैं कहता हूं, भूल जाओ। वो आपके देश से छोड़ो, हर देश के साथ ऐसा रिश्‍ता निकालते कि उन देशों की पीढ़ियां भी सोचती रह जाती। माहौल ऐसा बनता कि आप भी अपना एक बहुकीमती वोट नरेंद्र मोदी को देकर कहते, हां, बंदे में दम तो है।

यदि दम न होता तो आप अपनी कड़ी सुरक्षा व्‍यवस्‍था के साथ यहां थोड़ा होते जनाब हुसैन। आपको पता है कि इतनी कड़ी सुरक्षा के लिए भारत को कितना रुपया खर्च करना पड़ता, यदि इतना रुपया खर्च होता तो विपक्ष पगला जाता, जनता तो हमारी भोली भाली है। इसलिए नरेंद्र मोदी ने एक योजना बनाई, आपको आमंत्रित किया। उनको पता था, आप अकेले तो आएंगे नहीं, आप अपना पूरा ताम झाम लाएंगे, जो लेकर भी आए। राजनीति में मोदी का जवाब नहीं, यह बात तो आपको भी समझ आ गई होगी। एक हजार करोड़ खर्च कर आप भारत आए, सुरक्षा इंतजाम का सारा खर्च मिला जुलाकर बात कर रहा हूं। अब सोचो, यहां आकर यदि आप खाली हाथ जाते तो अमेरिका को क्‍या मुंह दिखाते, अंत आप उसी तरह फंसे हुए थे, जिस तरह मैं पहली सूरत की खरीददारी के वक्‍त, मुझे लग रहा था सौदा अच्‍छा नहीं, मगर, तबीयत ख़राब थी, पैसा काफी खर्च हो चुका था, अब सौदे को स्‍वीकृति देने के सिवाय मेरे पास भी कुछ नहीं था। मोदी को कहते हैं, हूं पक्‍का अमदाबादी शूं, अब तो आप भी मान रहे होंगे।

वरना, जितने खुशमिजाज आप आए थे। उतने खुशमिजाज आप जाने के समय न थे। यदि आप अधिक खुश होते, तो आप धर्म वाली नसीहत, साफ सुथरी बिजली, भारत को अपने निवेशकों के लिए अच्‍छी कानून व्‍यवस्‍था बनानी चाहिए इत्‍यादि तो न कहते। आप इतने खुश होते कि कुछ दिन और भारत में गुजारने के बारे में सोचते, यकीनन मोदी ने कहा होगा, कुछ दिन तो और गुजारिए भारत में। आप ने कहा होगा, नहीं नहीं, बस बस। आपके मन में संदेह तो पैदा हुआ होगा, कहीं मोदी से आप से बदले में अमेरिका का व्‍हाइट हाउस न छीन ले। मोदी से आपका डरना प्राकृतिक भी है, क्‍योंकि केशुभाई पटेल, एलके आडवाणी भुलाए नहीं भूलते।

आपने एक ख़बर का जिक्र करते हुए कहा, अब मिशेल ओबामा के अलावा एक और फैशन आइकन आ गया। हम तो अब तक मोदी जी को विकास पुरुष के नाम से जानते थे, आपने फैशन आइकन कहकर उनका कद छोटा कर दिया क्‍योंकि फैशन आइकन लम्‍बी रेस के घोड़े नहीं होते। हमारे यहां बहुत फैशन आइकन आए और चल दिए, क्‍योंकि फैशन गतिशील है। कल को कोई फैशन आइकन आ गया तो मोदी की लूल हो जाएंगे। हमारे जहां कभी धोनी फैशन आइकन थे। तो कभी हनी सिंह यो यो फैशन आइकन बन जाता है। दिल चाहता है के बाद से गजनी तक आमिर ख़ान भी यूथ फैशन आइकन रहे।

मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं, हमारे देश के लिए प्रधानमंत्री के रूप में विकास पुरुष को चुना है, हालांकि, यह दूसरी बात है कि वे व्‍यक्‍तिगत विकास पर ध्‍यान देते हैं। आप ने देखा, आप एक ही कोट सूट में घूमते रहे। हमारे प्रधानमंत्री ने कितने लिबास बदले। आखिर फोटो सेशन भी तो कुछ होता है कि नहीं। आपको हैरानी तो हुई होगी, जब आपने हमारे प्रधानमंत्री को लाखों रुपये की कीमत से तैयार सूट में देखा होगा, जिसपर लिखा था नरेंद्र दमोदर दास मोदी। आपको गुस्‍सा तो आया होगा कि मुख्‍यातिथि मैं हूं, और फूल कवरेज जनाब लेकर जा रहे हैं। आपको बुरा तो तब भी लगा होगा, जब नरेंद्र मोदी ने रूस से रिश्‍ते ख़राब न करने की बात आपको चुपके से कही होगी। गुस्‍सा तो मुझे भी आया था, जब आपने रूस के खिलाफ भारत की जमीं से जहर उगला था, जो आपकी पुरानी आदत है। जब आपने सईद हाफिज के सिर पर इनाम रखा तो घोषणा अपने व्‍हाइट हाउस से करने की बजाय भारत की राजधानी दिल्‍ली से की। बंदूक हमेशा आपकी रहती है, बस कंधा हमारा। आप अमेरिकी बहुत शातिर हैं। मगर, नरेंद्र मोदी को भी कम मत समझना क्‍योंकि वो 130 करोड़ भारत के नागरिकों को टिकाए हुए हैं।

वो जो बोलते हैं, वो करें न करें, लेकिन जो वो बोलते नहीं, वो हमेशा करते हैं, राउड़ी राठौड़ की तरह। इसलिए अधिकतर चर्चा में रहते हैं। मैं आपको धमकी नहीं दे रहा। मैं तो केवल चेतावनी दे रहा हूं। थोड़ा सा संभलकर चलना क्‍योंकि जो दस साल पहले आप ने राजनीतिक जुआ खेला था, अब उस जुए में आपके सामने भारत का सबसे चालाक पत्‍तेबाज बैठा है।

हालांकि, आजकल उनको नाक के तले वाले हिस्‍से की अधिक फिक्र है। हां, दिल्‍ली की। तभी तो उन्‍होंने मन की बात में कहा, ''बेन्जामिन फ्रेंकलिन का जीवन चरित्र हमें यह प्रेरणा देता है कि व्यक्ति को जीवन को बदलने के लिए समझदारी पूर्वक कैसे प्रयास करना चाहिए। मुझे यह बात प्रेरणा देती है कि झुग्गी झोपड़ी में रहने वाला गरीब भी मेरी चिन्ता करता है। मैं अपना जीवन ऐसे लोगों की सेवा में लगा दूंगा।''। अभी कुछ दिन पहले अवैध कालोनियों को वैध किया। सुना है कि यह दिल्‍ली की तीस सीटों को प्रभावित करती हैं। अब देखना तो यह है कि आपकी तरह अंतिम समय फेंके इन पत्‍तों का असर दिल्‍ली पर देखने को मिलता है कि नहीं।

वैसे आप भी कम शातिर थोड़ी न हैं। हमको भी पता चल जाता है कि आप अमेरिका का कचरा भारत में बेचने निकले हैं। आपको पता है, आपके जाने के बाद एनडीटीवी पर वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन कहते हैं, 'अमेरिका में न्यूक्लियर एनर्जी का बड़े स्तर पर इस्तेमाल होता है, लेकिन पिछले कुछ वक्त से इसका विस्तार थम सा गया है। वहां कई सूबों में न्यूक्लियर एनर्जी के प्लांट लगाने की कोशिश हो रही है, लेकिन स्थानीय विरोध और रेडियोधर्मी कचरा प्रबंधन जैसे कई मुद्दे आड़े आ रहे हैं। इसलिए पिछले 30-35 सालों से वहां बड़ी कंपनियों के रियेक्टर नहीं बिक रहे।'

तुम चाहते हो। चीन पाकिस्‍तान के साथ चला जाए। इंडिया मीलों दूर वाशिंगटन के साथ जुड़ जाए, उसका पुराना कचरा खरीदने के लिए, रूस को तुम हमसे दूर करना चाहते हो, जिसका साहित्‍य गुलामी के दिनों में हमारा प्रेरक बना। आप बाजार की भाषा बोलते हैं। आपके संवाद बाजार की स्‍थितियों को देखते हुए लोगों की भावनाओं को ध्‍यान में रखते हुए लिखे जाते हैं। यदि आप शाह रुख ख़ान के इतने बड़े फैन थे, तो आपके एयरपोर्ट पर दो बार इस ख़ान को तलाशी के लिए न रोका जाता, केवल नाम की समानता के चलते। टोपी पहनाने के लिए आप लोगों ने पीआर एजेंसियां खोज रखी हैं। बात अभी भी देख दिखाई तक पहुंची है। लड़के को लड़की पसंद आएगी या नहीं, यह तो आने वाले समय में पता चलेगा। वैसे एक अन्‍य बात आपको बता दूं, आप ने व्यापार बढ़ाने के लिए 3 अरब डालर के लोन देने की घोषणा की, जबकि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत में अगले पांच साल में 20 अरब डॉलर और जापान ने 35 अरब डॉलर के पूंजी निवेश की घोषणा की थी।

जय हिंद

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