Thursday, January 1, 2015

एबीपी न्‍यूज, पोल और धोखा

कुछ दिन पहले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक विदेशी पत्रिका टाइम के ऑनलाइन रीडर्स सर्वे पोल में जीतकर अंत हार गए। पत्रिका ने नरेंद्र मोदी को जीतने बावजूद अंतिम दौड़ से बाहर कर दिया। हालांकि, इस विदेशी पत्रिका प्रबंधन का कहना था, अंतिम निर्णय जूरी का होता है। सवाल उठा, जो उठना भी चाहिए। यदि अंतिम फैसला जूरी का होता है तो ऑनलाइन रीडर्स सर्वे पोल करवाने का औचित्‍य क्‍या ? टाइम पत्रिका के पास जवाब नहीं होगा, केवल तर्क होंगे।

पत्रिका के नक्‍शेकदम पर चलते हुए आज देश के हिन्‍दी समाचार चैनल ABP न्यूज ने पाठकों की राय को दरकिनार कर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को साल 2014 का व्यक्ति विशेष चुन लिया। दरअसल, ABP न्यूज ने अपनी वेबसाइट ABP live पर साल 2014 के व्यक्ति विशेष का पोल करवाया। इस पोल में अरविंद केजरीवाल को 52.63 फीसदी मत मिले, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 34.12 फीसदी। इस पोल में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बुरी तरह पछाड़ दिया।

मगर, ABP न्यूज ने, ''दर्शकों की राय में अरविंद केजरीवाल व्यक्ति विशेष हैं, लेकिन देश को पिछले 30 साल में पहली बार 2014 में पूर्ण बहुमत की सरकार नरेंद्र मोदी ने दी है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ABP न्यूज के 2014 के व्यक्ति विशेष हैं।'' का तर्क देते हुए अरविंद केजरीवाल को साल 2014 का व्यक्ति विशेष नहीं चुना।

ग्रामीण क्षेत्रों में एक आम कहावत है कि जिसकी खाएं बाजरी, उसकी भरें हाजिरी। नरेंद्र मोदी की सरकार है, अब उसकी जय जयकार नहीं होगी तो किसकी होगी। लोग कहते हैं कि अकबर के साथ बीरबल भी निकल गए। मगर, आज जब इलेक्‍ट्रोनिक मीडिया को देखता हूं तो लगता है कि अकबर अकेले ही निकले होंगे। बीरबल तो आज भी जिंदा हैं।

बारह साल तक गुजरात के पूर्व मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने वाला मीडिया आजकल अमूल कंपनी से बटर उधार लेकर खूब लगा रहा है। हालांकि, नरेंद्र मोदी मीडिया को भाव नहीं दे रहे हैं। टाइम पत्रिका के बाद ABP न्यूज ने भी लोगों के भरोसे को तोड़ा है। ABP न्यूज के सर्वे पोल में नरेंद्र मोदी के दीवानों का न आने का कारण टाइम पत्रिका का धोखा हो सकता है। जब आपको जनता की राय के साथ चलना नहीं है तो क्‍यों इस तरह के पोल सर्वे करवा जाते हैं।

एबीपी न्‍यूज की एक अन्‍य समस्‍या हो सकती है कि कहीं अरविंद केजरीवाल को विजेता घोषित कर देने से नरेंद्र मोदी के चाहने वाले उस पर पक्षपाती होने का आरोप न लगा दें। यदि आप बाजारवाद से इतने डरे हुए हैं, तो आपको अपनी दुकान के बाहर लिखकर लगाना चाहिए, बाजारवाद के दौर में निष्‍पक्षता न मांगें। आप से अच्‍छे तो दुकानदार हैं, जो दुकान के बाहर लिखकर लगाते हैं कि फैशन के दौर में गारंटी न मांगें। 


2 comments:

  1. सही कहा..मीडिया का इस तरह का रवैया कई बार ज़ाहिर होता रहता है।

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  2. आप बाजारवाद से इतने डरे हुए हैं, तो आपको अपनी दुकान के बाहर लिखकर लगाना चाहिए, बाजारवाद के दौर में निष्‍पक्षता न मांगें। आप से अच्‍छे तो दुकानदार हैं, जो दुकान के बाहर लिखकर लगाते हैं कि फैशन के दौर में गारंटी न मांगें।
    बहुत सही कहा

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