आमिर ख़ान अभिनीत फिल्म पीके ने सफलता के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। बॉलीवुड में सफलता फिल्म का पैमाना सौ करोड़ का क्लब है। मगर, सौ सौ करोड़ कमाने वाली तीन फिल्मों की कमाई अकेली पीके ने कर डाली। सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि इस फिल्म को देखकर गदगद होने वाली युवा पीढ़ी बचपन में 'जय संतोषी मां' जैसी फिल्मों में होने वाले चमत्कार देखकर अचंभित होती रही है।
आमिर ख़ान को भोजपुरी बोलते हुए देखकर दर्शक वर्ग अधिक खुश हुआ। यदि आमिर ख़ान पीके के किरदार में हिन्दी बोलता तो शायद फिल्म उतना अच्छा प्रभाव न छोड़ती। आप आमिर ख़ान को नेपाली बोलते हुए कोक के विज्ञापन में देखा होगा। पंजाबी बोलते हुए टाटा स्काई के विज्ञापन में। इसमें दो राय नहीं होनी चाहिए कि आमिर ख़ान की ढ़ाई घंटों की लंबी फिल्म से अधिक आकर्षित उनके विज्ञापन रहे हैं। इसके कारण भी आमिर ख़ान की लोकप्रियता बढ़ी है।
और फिल्म प्रचार की बात में भी आमिर ख़ान का कोई मुकाबला नहीं। बॉलीवुड में आमिर ख़ान इकलौते सफल स्वयं फिल्म प्रचारक हैं, जैसे राजनीति में नरेंद्र मोदी। संयोग देखो कि दोनों को विरोध के बावजूद गजब की सफलता मिलती है। जहां विरोध के बावजूद आमिर ख़ान ने तीन सौ करोड़ प्लस का बिजनस किया, वहीं, नरेंद्र मोदी ने लोक सभा चुनावों में बीजेपी को चमत्कारी बहुमत दिलाया।
आमिर ख़ान की फिल्म का विरोध करने वालों ने ओह माय गॉड का भी विरोध किया था। मगर, फिल्म केवल सौ करोड़ का बिजनस करने में सफल हुई। हम उस फिल्म की सफलता को कम नहीं आंक सकते, क्योंकि उसका बजट भी बहुत कम था और उसकी सिनेमा टिकट भी आमिर ख़ान की फिल्म पीके से तीसरे हिस्से की थी। इससे एक बात तो साबित होती है कि यदि फिल्म जनता की कसौटी पर खरी उतरती है तो उसको विरोध भी असफल नहीं बना सकता। पहले ओह माय गॉड का विरोध हुआ। उसके बाद पीके के रिलीज होने पर पिछले महीने और इस महीने हमने बहुत से शहरों में गुंडागर्दी का नंगा नाच देखा।
भारत में अब भी कुछ लोग पीके का विरोध कर रहे हैं। हालांकि, विरोध करने वालों में अधिकतर ने तो पीके फिल्म देखी तक नहीं है। सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि इसी बीच दक्षिण में ओह माय गॉड की रीमेक गोपाला गोपाला रिलीज होने जा रही है। इस दक्षिणी फिल्म ने पिछले दिनों ट्विटर पर जोरदार ट्रेंड पकड़ा था। इस फिल्म का संगीत रिलीज हुआ। ट्विटर पर लोगों ने फिल्म संगीत को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी।
एक अन्य बात इस फिल्म में मुख्य भूमिका पवन कल्याण और अनाड़ी फिल्म में अभिनय कर चुके वैंकेटश निभा रहे हैं। पवन कल्याण ने पिछले लोक सभा चुनावों के दौरान जना पार्टी की स्थापना की, जो जल्द ही होने वाले स्थानीय निकाय के चुनावों में अपने उम्मीदवार उतारेगी। लोक सभा चुनावों के दौरान नरेंद्र मोदी से पवन कल्याण भी मिले थे। पवन कल्याण ने नरेंद्र मोदी को समर्थन दिया था। हालांकि, पवन कल्याण के भाई चिरंजीवी यूपीए सरकार में मंत्री रह चुके हैं।
ओह माय गॉड और गोपाला गोपाला में रीमेक संबंध के अलावा एक अन्य संबंध भी है। जी हां, दोनों फिल्मों के मुख्य नायक भारतीय जनता पार्टी के महानायक नरेंद्र मोदी के करीबी हैं। परेश रावल तो अहमदाबाद से बीजेपी सांसद भी हैं।
आमिर ख़ान को भोजपुरी बोलते हुए देखकर दर्शक वर्ग अधिक खुश हुआ। यदि आमिर ख़ान पीके के किरदार में हिन्दी बोलता तो शायद फिल्म उतना अच्छा प्रभाव न छोड़ती। आप आमिर ख़ान को नेपाली बोलते हुए कोक के विज्ञापन में देखा होगा। पंजाबी बोलते हुए टाटा स्काई के विज्ञापन में। इसमें दो राय नहीं होनी चाहिए कि आमिर ख़ान की ढ़ाई घंटों की लंबी फिल्म से अधिक आकर्षित उनके विज्ञापन रहे हैं। इसके कारण भी आमिर ख़ान की लोकप्रियता बढ़ी है।
और फिल्म प्रचार की बात में भी आमिर ख़ान का कोई मुकाबला नहीं। बॉलीवुड में आमिर ख़ान इकलौते सफल स्वयं फिल्म प्रचारक हैं, जैसे राजनीति में नरेंद्र मोदी। संयोग देखो कि दोनों को विरोध के बावजूद गजब की सफलता मिलती है। जहां विरोध के बावजूद आमिर ख़ान ने तीन सौ करोड़ प्लस का बिजनस किया, वहीं, नरेंद्र मोदी ने लोक सभा चुनावों में बीजेपी को चमत्कारी बहुमत दिलाया।
आमिर ख़ान की फिल्म का विरोध करने वालों ने ओह माय गॉड का भी विरोध किया था। मगर, फिल्म केवल सौ करोड़ का बिजनस करने में सफल हुई। हम उस फिल्म की सफलता को कम नहीं आंक सकते, क्योंकि उसका बजट भी बहुत कम था और उसकी सिनेमा टिकट भी आमिर ख़ान की फिल्म पीके से तीसरे हिस्से की थी। इससे एक बात तो साबित होती है कि यदि फिल्म जनता की कसौटी पर खरी उतरती है तो उसको विरोध भी असफल नहीं बना सकता। पहले ओह माय गॉड का विरोध हुआ। उसके बाद पीके के रिलीज होने पर पिछले महीने और इस महीने हमने बहुत से शहरों में गुंडागर्दी का नंगा नाच देखा।
भारत में अब भी कुछ लोग पीके का विरोध कर रहे हैं। हालांकि, विरोध करने वालों में अधिकतर ने तो पीके फिल्म देखी तक नहीं है। सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि इसी बीच दक्षिण में ओह माय गॉड की रीमेक गोपाला गोपाला रिलीज होने जा रही है। इस दक्षिणी फिल्म ने पिछले दिनों ट्विटर पर जोरदार ट्रेंड पकड़ा था। इस फिल्म का संगीत रिलीज हुआ। ट्विटर पर लोगों ने फिल्म संगीत को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी।
एक अन्य बात इस फिल्म में मुख्य भूमिका पवन कल्याण और अनाड़ी फिल्म में अभिनय कर चुके वैंकेटश निभा रहे हैं। पवन कल्याण ने पिछले लोक सभा चुनावों के दौरान जना पार्टी की स्थापना की, जो जल्द ही होने वाले स्थानीय निकाय के चुनावों में अपने उम्मीदवार उतारेगी। लोक सभा चुनावों के दौरान नरेंद्र मोदी से पवन कल्याण भी मिले थे। पवन कल्याण ने नरेंद्र मोदी को समर्थन दिया था। हालांकि, पवन कल्याण के भाई चिरंजीवी यूपीए सरकार में मंत्री रह चुके हैं।
ओह माय गॉड और गोपाला गोपाला में रीमेक संबंध के अलावा एक अन्य संबंध भी है। जी हां, दोनों फिल्मों के मुख्य नायक भारतीय जनता पार्टी के महानायक नरेंद्र मोदी के करीबी हैं। परेश रावल तो अहमदाबाद से बीजेपी सांसद भी हैं।
अब देखना यह है कि आमिर ख़ान को निशाना बनाने वाले पवन कल्याण की फिल्म का विरोध करेंगे या नहीं ? क्योंकि यह फिल्म बीजेपी सांसद परेश रावल अभिनीत फिल्म ओह माय गॉड की रीमेक है। गोपाला गोपाला के पोस्टर पर पवन कल्याण और वैंकेटश महाभारत के भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के रथ वाले स्टाइल में खड़े नजर आ रहे हैं।
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