Saturday, December 27, 2014

'बजरंग दल' के नाम एक खुला पत्र

नमस्‍कार।

मुझे समाचार मिला है कि आप 'बहू लाओ, बेटी बचाओ' अभियान की शुरूआत करने जा रहे हैं। इस अभियान के तहत आप मुस्‍लिम या ईसाई लड़कियों के लिए हिन्‍दू परिवारों के दरवाजे खोलेंगे। यदि हिंदू लड़के के मां बाप ने इंकार किया तो आप बड़े शालीन तरीके से समझाएंगे। उम्‍मीद करता हूं, आप घर में अपनी नंगी तलवारें या हॉकियां लेकर नहीं घुसेंगे, जैसे कि आपकी छवि मेरी निगाह में है। यह तो बात हुई अपनी बहू लाओ अभियान की।

अब बेटी बचाओ अभियान की बात करते हैं, जो यकीनन भ्रूण हत्‍या से जुड़ा हुआ नहीं क्‍योंकि आपकी मुहिम लव जिहाद के खिलाफ है, तो इससे स्‍पष्‍ट होता है कि हिंदू लड़की को यदि किसी मुस्‍लिम लड़के से प्रेम हो जाए तो उसको सीने में दबाकर रखना होगा। हालांकि, आप ने स्‍पष्‍ट नहीं कि इस मामले में आपकी गतिविधि किस तरह की होगी। आप दोनों परिवारों को किस तरह बैठकर समझाएंगे। उम्‍मीद करता हूं, आपका इस मामले में भी तरीका बहुत शालीन होगा।

एक अन्‍य बात, आपको याद दिलाना चाहता हूं, आज एक धार्मिक समारोह ने आरएसएस के सर संचालक निवेदन किया है कि इस तरह की कोई कार्रवाई न करें, जिससे सरकार के कार्य प्रभावित हों। तो मैं उम्‍मीद कर सकता हूं कि उनकी बात का मान रखेंगे।

एक अन्‍य सवाल मन में उठ रहा है कि यदि आपकी तरह मुस्‍लिम या ईसाई समुदाय ने अभियान चला लिया तो उस स्‍थिति में आपकी गतिविधि किस तरह की होगी। उम्‍मीद उपरोक्‍त ही रखता हूं, आप अहिंसा पथ पर चलते हुए मामलों को शांत करेंगे।

अन्‍य संदेह है, आपका 'बहू लाओ, बेटी बचाओ' अभियान कहीं न कहीं हिंदू लड़कों को छूट दे रहा है, और हिंदू लड़कियों को बंदिश में बांध रहा है। हालांकि, सुनने में आया है कि प्‍यार अंधा और बहरा होता है। मेरा तो अनुभव है।

आजकल बाजार में पीके का विरोध भी जोरदार हो रहा है। सुनना है कि इस फिल्‍म की शुरूआत आपकी मुहिम को बल प्रदान करती है, जहां एक लड़का पाकिस्‍तानी मुस्‍लिम लड़का हिंदू लड़की को धोखा देता है। हालांकि, फिल्‍म का अंत आपकी मुहिम को जोरदार झटका देते हुए लव जिहाद के पलड़े को मजबूत कर देता है। इस फिल्‍म में मुस्‍लिम लड़के और एक हिंदू लड़की का प्रेम जीत जाता है। हां, एक अन्‍य बात कहना चाहता हूं, यदि दोनों में से किसी का धर्म भी एक दूसरे पर हावी होने लगा तो प्रेम का धागा टूट जाएगा।  


एक अन्‍य डर है। आजकल की लड़कियां संघर्षवादी हो चुकी हैं। इसलिए इस बात का भी डर है कि कहीं वो आपके खिलाफ सड़कों पर न उतर आएं। अगर, इस तरह का घटनाक्रम घटित हो गया तो सरकार को लेने के देने पड़ जाएंगे, और आरएसएस के सर संचालक मोहन भागवत की बात की इज्‍जत चली जाएगी।

अंत की ओर...
वर्ष 2014 में देश की जनता ने भाजपा को विकास के नाम पर बहुमत दिया है। कहीं, आपकी कार्रवाईयों के कारण देश के भीतर मिस्र से हालात न बन जाएं। जहां स्‍वतंत्र सरकार चुनने के बाद लोगों को सरकार गिराने के लिए सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होना पड़ गया था।

एक सुझाव....
यदि असली हिंदुत्‍व को बचाना है तो ईसाईयत की तरह बड़े बड़े स्‍कूल कॉलेज खोलो, जहां पर हिंदु परिवारों सहित अन्‍य धर्मों एवं जातियों के बच्‍चे पढ़ सकें। आज हमारे बच्‍चे सेंट जॉसेफ या सेंट जेवियर स्‍कूलों में केवल इसलिए पढ़ने के लिए जाते हैं, ताकि प्रतियोगितावादी समाज में वो पिछड़ न जाएं।

टो टूक बात....
राजनीति से ऊपर उठकर सोचना सीखें। इस तरह की गतिविधियों से किसी का भला नहीं हुआ और न होगा। यदि हिंदुत्‍व को निखरते हुए देखना चाहते हैं तो उसकी उदारता वाले पक्ष पर ध्‍यान दो। हिंदुत्‍व वो समुद्र है, जिससे पानी भाव बन बादलों में जाता है, और पहाड़ों पर बरस कर वापिस समुद्र में मिल जाता है। आप हिंदुत्‍व को केवल भारत की सीमा में बांधे रखना चाहते हैं, जबकि भारत के अध्‍यात्‍म शक्‍ति को मानने वाले आज विश्‍व के हर कोने में हैं। वो आपके कारण नहीं, बल्‍कि अन्‍य अध्‍यात्‍म गुरूओं के कारण।

आपका शुभचिंतक
जन्‍म से हिंदु,
कर्म से मानव

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