Friday, December 12, 2014

शेनाज ट्रेजरीवाला का खुला पत्र चर्चा में

फिल्मी दुनिया से जुड़ी शेनाज ट्रेजरीवाला ने आज देश की कुछ महान हस्तियों के नाम एक पत्र लिखा है। इस पत्र में शेनाज ने अपने जीवन के कुछ कड़वे अनुभव लिखे एवं देश की सरकार से सुरक्षा की मांग की है। यह पत्र परंपरागत एवं आधुनिक मीडिया में वायरल हो चुका है।

इसका वायरल होना, शेनाज ट्रेजरीवाला के स्वर एवं दर्द को सरकार तक पहुंचेगा। शेनाज ने बचपन से जवानी की दहलीज तक आते आते जो सहन किया, उसको इस खत के जरिये सामने रखा। चाहे सब्जी मार्किट में हुई छेड़खानी की घटना हो या रेलगाड़ी में किशोर सहेली के साथ हुआ रेप हो।

शेनाज का पत्र की कई महिलाओं के भीतर एक शेनाज को जिन्दा करने में मदद करेगा क्योंकि इंटरनेट की दुनिया में महिलाओं की भागीदारी तेजी के साथ बढ़ रही है। यकीनन, यह पत्र पुरुषों की मानसिक पर भी जोरदार चोट करने में सफल होगा। फिल्म अभिनेत्री प्रीति जिंटा ने जब अपनी बात सोशल मीडिया पर बेबाक रखी तो उनके समर्थन में एक बड़ा समूह सामने आया। इसमें संदेह नहीं कि इस तरह की अभिव्यक्तियां समाज की मानसिकता पर चोट करती हैं। मगर, अफसोस कि इस तरह की बातें, उन लोगों तक पहुंच नहीं पाती, जहां तक इनका पहुंचना अति जरूरी है।

शेनाज के पत्र से सरकार जागेगी कि नहीं, यह तो पता नहीं, लेकिन यह पत्र लड़कियों को आवाज बुलंद करने के लिए प्रेरित करेगा। अब लड़कियां शेनाज की तरह सालों तक किसी घूंटन में नहीं जीवन बसर करेंगी। शायद, यह होना भी चाहिए। देश के कड़े कानून से ज्यादा जरूरी है, सामाजिक नजरिये को बदलने की जरूरत है। लड़कियों को रेप जैसे मामलों में थोड़ी सी हिम्मत दिखाने की जरूरत रहेगी क्योंकि शारीर को पर्स की तरह घर पर रखकर बाजार में निकलना संभव नहीं है।

वहीं, विपरीत लिंगी के प्रति आकर्षण मानव की प्रवृत्ति है, मगर जब यह प्रवृत्ति अपनी सीमाएं लांघती है तो बाढ़ की तरह नुकसानदायक साबित होती है। इस मामले में आप एक श्रेणी निश्चित नहीं कर सकते, क्योंकि इस देश में पिता बेटी से, भाई बहन से, देवर भाभी से, बेटा मां से, नौकर मालिकन से, शिक्षक छात्र से रेप कर जाता है। जहां नीयत बदनीत हुई, वहीं रेप सा हादसा घटित हो सकता है।

इसके बाद का जो ख़तरा है, वो है समलैंगिक रेप का ख़तरा। सरकार को इस तरह के मामलों में अब कठोरता दिखानी होगी। डंडे का डर बरकरार करना जरूरी होता जा रहा है। हालांकि, कानून की कठोरता भी गुनाह को होने से रोक नहीं सकती, लेकिन इससे रेप दर में कमी आने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। इसका विपरीत नतीजा यह भी हो सकता है कि पीड़ित को इज्जत के साथ जान से भी हाथ धोना पड़े।

हमारे देश में विरोधाभास सबसे बड़ी कमजोरी है। एक तरफ पूरा समाज यौन संबंधों की खुलकर बात करने से कतराता है। दूसरी तरफ, बंद कमरों में बड़े पर्दे पर उसका लुत्फ लेने से पीछे नहीं हटता। इस साल हिन्दी फिल्म जगत ने पूरी तरह सेक्स बेचा है। करोड़ों रूपए कमाएं हैं।

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