'स्वार्थ' तेरा भी जवाब नहीं। सुनते ही स्वार्थ मेरे पर क्रोधित हो उठा। बोला, मेरा कसूर तो बताओ। तुम मानव से कुछ भी करवा सकते हैं, मैंने उच्च स्वर में कहा। इसमें मेरा कोई कसूर नहीं, मुझे परमात्मा ने ऐसा ही बनाया है, स्वार्थ ने कहा।
मैंने कहा, आज तुम्हारे कारण परमात्मा का जन्म हो रहा है। इस कारण तो मैं दुविधा में हूं। निर्माता का कार्य सृजन होता है। मगर, तुम तो निर्माता का सृजन कर रहे हो, जिसने तुम्हारा सृजन किया है। स्वार्थ ने हैरत भरे अंदाज में पूछा, तुम साफ साफ कहो ना। तुम कहना क्या चाहते हो ।
मैंने कहा, आज तुमने एक इंसान को भगवान शिव से बड़ा कर दिया। स्वार्थ ने कहा, तुम अब पहेली मत बुझो। पहेली के सारे कपड़े उतारकर सच से रूबरू करवाओ। मैंने कहा, तुमने उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले के भगवानपुर गांव का नाम तो सुना होगा। स्वार्थ ने कहा, भगवानपुर भी होगा, बहुत सारे गांव हैं। मैंने कहा, इस गांव में शिव भगवान का एक प्राचीन मंदिर है। इसमें कौन सी नई बात है, भारत में हर मंदिर के बाहर प्राचीन ही लिखा होता है, स्वार्थ ने मेरी बात काटते हुए कहा। मैंने कहा, नहीं नहीं, सच में 300 साल पुराना मंदिर है। मगर अब यह शिवजी का नहीं रहा। स्वार्थ ने कहा, नहीं रहा, मतलब। मैंने कहा, पिछले लोक सभा चुनावों में इस मंदिर को नया भगवान मिल गया, तुम्हारे कारण।
स्वार्थ कुर्सी से कूद उठा, और बोला, मैं तो इस गांव के बारे में जानता भी नहीं, तो मेरे कारण इस गांव के मंदिर को भगवान किस तरह मिल गया। मैंने कहा, शांत रहो। तुम मानव के भीतर वास करते हो। और उस मानव ने तुम्हारे कारण इस मंदिर को नया भगवान दे दिया क्योंकि अब तुमको शिव पूरा नहीं कर पा रहे थे। स्वार्थ ने कहा, अच्छा तो नया भगवान कौन है ? मैंने कहा, सुनने में आया है कि नया भगवान श्री नरेंद्र मोदी हैं। स्वार्थ ने कहा, हैं!। मैंने कहा, हां, बिल्कुल, इस मंदिर में मोदी की तीन फुट की मूर्ति स्थापित की गई है। स्वार्थ ने सुनते ही कहा, ओह माय गॉड।
मैंने कहा, अरे आगे तो सुनो। स्वार्थ ने कहा, सुनने को बचा ही क्या है ? मैंने कहा, नहीं नहीं, अब गांव वाले मोदी के गुणगान में मिश्रा द्वारा रचित भजन को प्रतिदिन गुनगुनाते हैं। शिव के साथ मोदी भगवान की भी प्रार्थना और आरती भी होती है । हर दिन सुबह और शाम में भगवान शिव के साथ मोदी की आरती लगाई जाती है। 200 शब्दों में लिखी आरती की शुरुआत होती है- 'जय मोदी राजा, तेरे नाम का देश में डंका बाजा।'
स्वार्थ तो सिर पर पैर रख सरपट दौड़ लगाते हुए निकल लिया, और मैं बुड़बुड़ाता रहेगा नमो नमो।
मैंने कहा, आज तुम्हारे कारण परमात्मा का जन्म हो रहा है। इस कारण तो मैं दुविधा में हूं। निर्माता का कार्य सृजन होता है। मगर, तुम तो निर्माता का सृजन कर रहे हो, जिसने तुम्हारा सृजन किया है। स्वार्थ ने हैरत भरे अंदाज में पूछा, तुम साफ साफ कहो ना। तुम कहना क्या चाहते हो ।
मैंने कहा, आज तुमने एक इंसान को भगवान शिव से बड़ा कर दिया। स्वार्थ ने कहा, तुम अब पहेली मत बुझो। पहेली के सारे कपड़े उतारकर सच से रूबरू करवाओ। मैंने कहा, तुमने उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले के भगवानपुर गांव का नाम तो सुना होगा। स्वार्थ ने कहा, भगवानपुर भी होगा, बहुत सारे गांव हैं। मैंने कहा, इस गांव में शिव भगवान का एक प्राचीन मंदिर है। इसमें कौन सी नई बात है, भारत में हर मंदिर के बाहर प्राचीन ही लिखा होता है, स्वार्थ ने मेरी बात काटते हुए कहा। मैंने कहा, नहीं नहीं, सच में 300 साल पुराना मंदिर है। मगर अब यह शिवजी का नहीं रहा। स्वार्थ ने कहा, नहीं रहा, मतलब। मैंने कहा, पिछले लोक सभा चुनावों में इस मंदिर को नया भगवान मिल गया, तुम्हारे कारण।
स्वार्थ कुर्सी से कूद उठा, और बोला, मैं तो इस गांव के बारे में जानता भी नहीं, तो मेरे कारण इस गांव के मंदिर को भगवान किस तरह मिल गया। मैंने कहा, शांत रहो। तुम मानव के भीतर वास करते हो। और उस मानव ने तुम्हारे कारण इस मंदिर को नया भगवान दे दिया क्योंकि अब तुमको शिव पूरा नहीं कर पा रहे थे। स्वार्थ ने कहा, अच्छा तो नया भगवान कौन है ? मैंने कहा, सुनने में आया है कि नया भगवान श्री नरेंद्र मोदी हैं। स्वार्थ ने कहा, हैं!। मैंने कहा, हां, बिल्कुल, इस मंदिर में मोदी की तीन फुट की मूर्ति स्थापित की गई है। स्वार्थ ने सुनते ही कहा, ओह माय गॉड।
मैंने कहा, अरे आगे तो सुनो। स्वार्थ ने कहा, सुनने को बचा ही क्या है ? मैंने कहा, नहीं नहीं, अब गांव वाले मोदी के गुणगान में मिश्रा द्वारा रचित भजन को प्रतिदिन गुनगुनाते हैं। शिव के साथ मोदी भगवान की भी प्रार्थना और आरती भी होती है । हर दिन सुबह और शाम में भगवान शिव के साथ मोदी की आरती लगाई जाती है। 200 शब्दों में लिखी आरती की शुरुआत होती है- 'जय मोदी राजा, तेरे नाम का देश में डंका बाजा।'
स्वार्थ तो सिर पर पैर रख सरपट दौड़ लगाते हुए निकल लिया, और मैं बुड़बुड़ाता रहेगा नमो नमो।
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