मेरी टैक्सी और आटो रिक्शा का भाड़ा एक सा है। वो अपना पर्स टेबल पर रखते हुए कहती है। सफर भी आनंददायक है। वो मेरे घर के बाहर मेरे आने तक इंतजार करती है। मुझे आने से पहले सूचित किया जाता है। यह शब्द किसी अमेरिकन या चीनी महिला के नहीं, बल्कि एक आम भारतीय महिला के हैं, जो एक कार्यालय में काम करती है एवं टैक्सी के जरिये कार्यालय पहुंचती है, यदि टैक्सी उसके आटो रिक्शा के भाड़े से मेल खा रही है।
उसी तरह की एक टैक्सी में एक लड़की के बलात्कार हो गया, जो इस महिला की तरह एक निजी कंपनी में कार्यरत थी। सरकार ने उस टैक्सी की कंपनी उबर को बैन करने के लिए मन बना लिया। शायद सरकार ने यह कदम जल्दबाजी में लिया, ताकि लोगों को लगे कि सरकार कुछ काम कर रही है। मगर सोचने वाली बात है कि निजी कारों में रेप होते हैं, तो क्या सरकार अब निजी कारों को बैन करेगी।
क्या टैक्सी को बैन कर देने से रेप के मामले रूक जाएंगे ? मेरे हिसाब से तो बिल्कुल नहीं। रेप कहां नहीं होते, रेप तो लिफ्ट में भी हो जाता है ? यदि लिफ्टों को बैन कर दिया, तो मुम्बर्इ, अहमदाबाद, दिल्ली, बेंगलुरू जैसे शहरों में बनी उुंची उुंची इमारतों में रहने वाले लोगों का क्या होगा ?
इस तरह के मामलों में जल्दबाजी में नहीं, बल्कि ठोस एवं कारगार कदम उठाने की जरूरत होती है। यह दिमागी लोचा है, यहां काम वासना का स्तर चरम पर पहुंचा, वहीं रेप हो जाएगा, लेकिन हम किसी किसी चीज को बैन करेंगे। उबर टैक्सी कल तक न थी। तब भी दिल्ली में एक निर्भया बनी। उसको इंसाफ दिलाने के लिए जनता सड़कों पर उतरी। वो जनाक्रोश कांग्रेस सरकार को ले डूबा।
उसी तरह की एक टैक्सी में एक लड़की के बलात्कार हो गया, जो इस महिला की तरह एक निजी कंपनी में कार्यरत थी। सरकार ने उस टैक्सी की कंपनी उबर को बैन करने के लिए मन बना लिया। शायद सरकार ने यह कदम जल्दबाजी में लिया, ताकि लोगों को लगे कि सरकार कुछ काम कर रही है। मगर सोचने वाली बात है कि निजी कारों में रेप होते हैं, तो क्या सरकार अब निजी कारों को बैन करेगी।
क्या टैक्सी को बैन कर देने से रेप के मामले रूक जाएंगे ? मेरे हिसाब से तो बिल्कुल नहीं। रेप कहां नहीं होते, रेप तो लिफ्ट में भी हो जाता है ? यदि लिफ्टों को बैन कर दिया, तो मुम्बर्इ, अहमदाबाद, दिल्ली, बेंगलुरू जैसे शहरों में बनी उुंची उुंची इमारतों में रहने वाले लोगों का क्या होगा ?
इस तरह के मामलों में जल्दबाजी में नहीं, बल्कि ठोस एवं कारगार कदम उठाने की जरूरत होती है। यह दिमागी लोचा है, यहां काम वासना का स्तर चरम पर पहुंचा, वहीं रेप हो जाएगा, लेकिन हम किसी किसी चीज को बैन करेंगे। उबर टैक्सी कल तक न थी। तब भी दिल्ली में एक निर्भया बनी। उसको इंसाफ दिलाने के लिए जनता सड़कों पर उतरी। वो जनाक्रोश कांग्रेस सरकार को ले डूबा।
जिस तरह देश के अंदर समलैंगिक लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है, उसको देखते हुए देश की सरकार को महिला सुरक्षा पर ही नहीं, बल्कि पुरुष सुरक्षा पर भी ध्यान देने की जरूरत रहेगी। सदियों से यह देश जिस चीज को दबाते आया है। उसके दुष्प्रभाव अब देखने को मिल रहे हैं। देश की पीढ़ी को सेक्स के बारे में गलत तरीकों से जानकारी मिलती है। जो रेप के मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। देश के भीतर चलने वाले अश्लील फिल्मों के कारोबार को रोकने की जरूरत है। अश्लील साहित्य को प्रतिबंधित करने की जरूरत है।
इंटरनेट की दुनिया ने यौन संबंधों से जुड़े साहित्य को लोगों तक पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभायी। आज दस से बारह साल के बच्चे इंटरनेट के जरिये अश्लील साहित्य को पढ़ एवं देख रहे हैं। हमारे बुजुर्ग कहते हैं कि जैसा निगलेंगे, वैसा उगलेंगे।
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