Sunday, December 21, 2014

'घर वापसी' - देव अफीमची और द्वारकी की समस्‍या

''अजी चाय पी लें।'', उदास मन के साथ टेबल पर चाय का कप रखते हुए द्वारकी ने देव अफीमची से कहा।

देव अफीमची ने अख़बार के पन्‍ने पलटते हुए कहा, ''तुम आज इतना उदास साउंड को कर रही हो''।

'जी, ऐसा तो कुछ नहीं'', द्वारकी ने जवाब देते हुए कहा।

देव अफीमची ने अख़बार फोल्‍ड करते हुए कहा, 'द्वारकी, तुमको लगता है कि मैं केवल अख़बार ही पढ़ सकता है। पर ऐसा नहीं, मैं तुम्‍हारे बोलों से, तुम्‍हारे चेहरे से, तुम्‍हारे भीतर की हलचल को भी समझ सकता हूं। तुम बोलो, तुम्‍हें कौन सी बात परेशान की जा रही है''।

द्वारकी ने मन की गांठ खोलते हुए कहा, 'श्‍यामा चली जाएगी। उधर, जो आपके गार्डन को प्‍यार से पानी दे रहा है, रामू भी चला जाएगा। और इस उम्र में नए लोगों पर विश्‍वास करना, उनको काम पर रखना थोड़ा सा मुश्‍किल हो जाएगा'।

द्वारकी के रूंध चुके गले को आराम देते हुए देव अफीमची ने कहा, 'ऐसा कुछ नहीं होगा। मैं रामू और श्‍यामा से बात करूंगा। अगर, उनका जाना बेहद जरूरी है। तो उनको हम अपने स्‍वार्थ के लिए रोक भी तो नहीं सकते। तुमको जाने के बारे में श्‍यामा ने या रामू ने कहा'।

द्वारकी ने देव अफीमची की तरफ देखते हुए कहा, 'जैसे तुमको तो कुछ पता नहीं, रोज अख़बार में आता है, बड़े बड़े अक्षरों में लिखा, घर वापसी'।

मुस्‍कराहट के साथ ठंडी सांस लेते हुए देव अफीमची ने कहा, 'अच्‍छा तो यह बात है, इसलिए तुम डर रही हो। तुमको लगता है कि श्‍यामा और रामू अपने घर बिहार चले जाएंगे।'

बात को काटते हुए द्वारकी ने कहा, 'नहीं तो और क्‍या?'।

तपाक जवाब देते हुए देव अफीमची ने कहा, 'ऐसा नहीं होगा, बिल्‍कुल नहीं होगा'।

'तुम इतने विश्‍वास से कैसे कह सकते हो'।, द्वारकी ने कड़क मूड में आते हुए कहा।

देव अफीमची ने द्वारकी का मनोबल बढ़ाते हुए कहा, 'जिस घर वापसी के बारे में तुमको भनक लगी है। वो घर वापसी कुछेक ईसाई एवं मुस्‍लिम परिवारों से जुड़ी हुई है, जो कभी हिंदू थे, और जुल्‍म के आगे झुककर या लालच में आकर मुस्‍लिम या ईसाई हो गए थे, जैसा हिंदू संगठन दावा करते हैं। हालांकि, मेरे हिसाब से तो मानवता से बड़ा दूसरा कोई धर्म हो ही नहीं सकता।'

द्वारकी ने खुश होते हुए कहा, 'तुम सच बोल रहे हो ना। हमारे श्‍यामा और रामू नहीं जाएंगे ना।'

'अब तुम चिंता छोड़ दो। तुम्‍हारे चेहरे पर मुस्‍कान अच्‍छी लगती है। सच तो यह है कि हमारी सरकार के पास इतना वक्‍त ही नहीं कि वो किसी रामू या श्‍यामा के बारे में सोचे। जो घर वापसी की राह देखते देखते विदेश में ही किसी घर के सदस्‍य हो जाते हैं।' क्षुब्‍ध होकर कुर्सी से उठते हुए देव अफीमची ने द्वारकी से कहा।

देव अफीमची तो टहलने के लिए निकल गया। मगर, टेलीविजन की दीवानी द्वारकी को एक नए सवाल ने घेर लिया। सवाल यह है कि अब 'क्‍योंकि स्‍मृति ईरानी भी कभी मल्‍होत्रा थी', और करीना कपूर खान, भी कभी सिर्फ करीना कपूर थी।

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