इस्लाम के ठेकेदारों को आज एक बार इंटरनेट पर आकर देखना चाहिए, उन्होंने जिन पर गोलियां चलाई, वो इस्लामी मजहब से संबंध रखते हैं, मगर इस हादसे के बाद, जिन लोगों के दिलों को चोट पहुंची, वो सच्चे इस्लामी थे, वो सच्चे हिंदू थे, वो सच्चे ईसाई थे, असल बात कहूं तो वो सच्चे मानववादी थे।
जिनको धर्म के असली अर्थ पता नहीं, वो हमेशा धर्म के लिए मुसीबत बनते हैं, चाहे वो हिंदू धर्म से संबंध रखें, चाहे इस्लाम से या किसी अन्य से।
मुझे मोहम्मद, जीसस, राम, कृष्ण, महावीर, बुद्ध, गुरू नानक देव में कहीं फर्क नजर नहीं आता, मगर उनके मानने वालों को देखता हूं, तो अक्सर सोचता हूं, कहीं नेटवर्क में समस्या है, कहीं तो बड़ी दिक्कत है ?
या फिर धर्म में खामियां हैं। असल बात तो यह है कि हम उन महान आत्माओं की आढ़ में अपने के लिए नया संसार बना लेते हैं। हम उन महान आत्माओं से आगे निकलने के चक्कर में धर्म के सही रास्तों को ख़राब कर रहे हैं।
कट्टरता किसी भी धर्म को बर्बाद कर देती है। यदि किसी धर्म को विस्तार देना हो, तो उसको सरल एवं उदार बनाना पड़ता है। धर्म जितना जटिल होगा, उतना कठिन होता चला जाएगा एवं छोटा होता चला जाएगा। उसकी कई नई शाखाएं पैदा हो जाएंगी, जो आपस में टकराकर टूटती बिखरती रहेंगी। जो तालिबान ने पाकिस्तान के पेशावर स्थित आर्मी स्कूल में किया, वो उसी धर्म के लोगों की आस्था को चोट करने वाला था।
कट्टरता किसी भी धर्म को बर्बाद कर देती है। यदि किसी धर्म को विस्तार देना हो, तो उसको सरल एवं उदार बनाना पड़ता है। धर्म जितना जटिल होगा, उतना कठिन होता चला जाएगा एवं छोटा होता चला जाएगा। उसकी कई नई शाखाएं पैदा हो जाएंगी, जो आपस में टकराकर टूटती बिखरती रहेंगी। जो तालिबान ने पाकिस्तान के पेशावर स्थित आर्मी स्कूल में किया, वो उसी धर्म के लोगों की आस्था को चोट करने वाला था।
मुझे नींद नहीं आ रही, क्या बीत रही होगी, जिनके सपनों की चिता जेहाद के नाम पर जला दी गई।
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