Thursday, December 18, 2014

पेशावर बाल संहार तो एक संकेत है

बात कहां से शुरू की जाए। सिडनी के उस कैफे से, जिसको एक सनकी व्यक्ति ने 16 घंटों तक बंधक बनाए रखा। या पेशावर के आर्मी पब्लिक स्कूल से, जहां आतंकवादियों ने हैवानियत की नयी तस्वीर पेश की। या अतीत के झरोखे में उतरते हुए मुम्बई के आतंकवादी हमले से। अंतः बात कहीं से भी शुरू हो, बात आतंकवाद के संदर्भ में ही होगी।

आतंकवाद भारत या पाकिस्तान के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय है। यदि ऐसा न होता तो जी 20 सम्मेलन में जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद का मुद्दा उठाया तो इस मामले को इतनी गंभीरता से न लिया जाता। मगर, सवाल दूसरा भी है कि केवल बयानों से हम आतंकवाद को खत्म कर देंगे, जो रात दिन तेजी गति से जहर की तरह विश्व भर में फैलता जा रहा है। इसके लिए देशों के हुकमरान ही सबसे बड़े कारक हैं। चाहे वो किसी भी देश के क्यों न हो। पेशावर या मुम्बई हमलों में आधुनिक तकनीक के हथियारों का इस्तेमाल किया गया, क्या आतंकवादी संगठनों के पास बिना किसी सरकारी तंत्र की मदद के इनका आना संभव है। विशेषकर, उस समय जब विश्व भर के विकसित एवं विकासशील देश आतंकवाद के खिलाफ लड़ने का समर्थन बड़े विश्व मंचों से खड़े होकर कर रहे हों।

जब मंगलवार को पाकिस्तान के पेशावर स्थित आर्मी पब्लिक स्कूल पर आतंकवादियों ने हमला बोला। और स्कूल परिसर को लहू से लथपथ कर दिया। तब दुनिया भर के लोगों ने धर्म जात पात से ऊपर उठते हुए पाकिस्तानी पीड़ित परिवारों के साथ संवेदना प्रकट की। मगर, उसी समय पाकिस्तान में राजनीतिक दल अपनी चाल चल रहे थे, हर राजनीतिक दल अपने स्वार्थ साधने में व्यस्त था। जनता कराह रही थी। चीख रही थी। राजनीतिक अपने प्रोग्राम रद्द कर आम लोगों की तरह संवेदना प्रकट कर रहे थे। इस मामले से सबसे बड़ी बात तो देखने को मिली, वो यह थी कि किसी भी राजनीतिक दल ने तालिबान पर सीधा निशाना नहीं लगाया। नये पाकिस्तान की उम्मीद देने वाले पीटीआई नेता एवं पूर्व क्रिकेटर इमरान खान ने भी खुलकर तालिबान के खिलाफ एक शब्द तक नहीं बोला, जबकि तालिबानी समूह ने हमले की सीधे तौर पर जिम्मेदारी ले ली थी।

पाकिस्तानी नेताओं ने आतंकवाद की दो परिभाषाएं बना रखी हैं। एक अच्छा आतंकवाद और एक बुरा आतंकवाद। हालांकि, आतंकवाद आतंकवद ही होता है। आतंकवाद में अच्छा या बुरा कुछ नहीं होता। पूरा विश्व उस पाकिस्तान से आतंकवाद के खिलाफ जबरदस्त लड़ाई लड़ने की उम्मीद लगाए हुए है, जो दोहरी चाल चलने के लिए जाना जाता है। एक तरफ पाकिस्तान तालिबान को अफगानिस्तान की सत्ता दिलाने में हाथ पैर मार रहा है और दूसरी तरफ उसी को खत्म करने के लिए अभियान चलाने के दावे करता है। अगर, वर्ष 2015 में अमेरिकी सेना की वापसी के बाद अफगानिस्तान पर तालिबानी हुकूमत आ जाती है तो उस स्थिति में पाकिस्तान हुकमरान अफगानिस्तान से सारे रिश्ते तोड़ लेंगे। इस उम्मीद करना बिल्कुल बेईमानी होगा। पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ लड़ने का दावा करता है, क्योंकि उसको इस दावे के बदले में विदेशों से सहायता राशि के नाम पर बड़े पैमाने पर धन मिलता है। इस धन से हुकमरानों का जीवन चलता है। और सोने के अंडे देने वाली मुर्गी को मारना किसी के लिए सरल कार्य नहीं है।

अभी पेशावर में हुए हमले के दौरान मारे गए बच्चों के अभिभावकों की आंखों से आंसू थमे भी नहीं थे कि मुंबई पर हुए आतंकी हमलों के मुख्य आरोपियों में से एक लश्कर-ए-तोएबा के कमांडर जकीउर रहमान लखवी को आतंकवादरोधी अदालत ने पांच लाख रुपये के मुचलके पर जमानत दे दी। हालांकि, विरोध के बाद वहां की सरकार ने इस मामले में अपना विरोध दर्ज करवाने की बात कही है। मगर, विरोध करने का मतलब ही क्या है, यदि पाकिस्तान दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादियों में शुमार जमात उद दावा चीफ हाफिज सईद को संरक्षण देना बंद नहीं कर सकता है।

इस मामले में भारतीय सरकारें भी कम नहीं हैं। जो हर आतंकवादी हमले के बाद कड़े जवाब देने की बात करती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर जीरो कार्रवाई होती है। पेशावर में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत के बड़े शहरों में अलर्ट जारी कर दिए गए। मगर यह तो एक परंपरागत कार्रवाई है। पूर्ववर्ती सरकारें भी तो इस तरह के कदम उठाती रही हैं। नया कुछ भी तो नहीं है। सवाल तो यह उठता है कि आखिर एक दिन के अलर्ट से स्थितियों में कितना परिवर्तन आएगा। क्या कुछ दिनों का अलर्ट पूरे देश को सुरक्षा का विश्वास दिला सकता है। विशेषकर, उस स्थिति में जब देश की संसद से लेकर मुंबई के ताज होटल तक भी आतंकवादियों की पहुंच से अछूते नहीं रह पाए। एकाध सूचना के बाद पूरे देश में अलर्ट घोषित कर सरकार सोचती है कि उसने अपनी जिम्मेदारी पूरी कर दी है।

दरअसल, रेलवे स्टेशन, बस स्‍टेंड व अन्य सार्वजनिक स्थलों पर लगे कैमरे ख़राब होने के समाचारों पर स्थानीय प्रशासन एक कदम तक नहीं उठता है। हां, सरकार के अलर्ट के बाद दायित्व के नाम पर आम नागरिकों के बैग जरूर टटोल लिए जाते हैं। भारत को केवल कश्मीर के रास्ते से ही ख़तरा नहीं, बल्कि भारत को समुद्र से, बंग्लादेश से, चीन से एवं म्यांमार से लगती सीमाओं से भी ख़तरा है।

एक अन्य ख़तरा हिंदूवादी संगठन पैदा कर रहे हैं, जो पूरे देश को ही नहीं, विश्व के अन्य देशों को भी भगवा पहनाने पर तूले हुए हैं। इन संगठनों को लेकर सरकार की स्थिति पाकिस्तानी की सरकार जैसी है, जो न तो इन संगठनों का खुलकर विरोध कर सकती है और नाहीं इनको पनपे में मदद करने के हक में है। यदि सरकार ने समय रहते इन संगठनों को रोकने का प्रयास नहीं किया तो पाकिस्तान की तरह देश में भी चरमपंथी संगठनों के उदय को कोई नहीं रोक सकता। अंजाम तो हम पेशावर में देख चुके हैं।

No comments:

Post a Comment

अपने बहुमूल्य विचार रखने के लिए आपका धन्यवाद

Labels

Valentine Day अटल बिहार वाजपेयी अंधविश्‍वास अध्यात्म अन्‍ना हजारे अभिव्‍यक्‍ति अरविंद केजरीवाल अरुण जेटली अहमदाबाद आतंकवाद आप आबादी आम आदमी पार्टी आमिर खान आमिर ख़ान आरएसएस आर्ट ऑफ लीविंग आस्‍था इंटरनेट इंडिया इमोशनल अत्‍याचार इलेक्ट्रोनिक मीडिया इस्‍लाम ईसाई उबर कैब एआईबी रोस्‍ट एनडीटीवी इंडिया एबीपी न्‍यूज एमएसजी ओएक्‍सएल ओह माय गॉड कटरीना कैफ कंडोम करण जौहर कांग्रेस किरण बेदी किसान कृश्‍न चन्‍दर क्रिकेट गजेंद्र चौहान गधा गरीबी गोपाला गोपाला घर वापसी चार्ली हेब्‍दो चुनाव चेतन भगत जन लोकपाल बिल जन समस्या जनसंख्या जन्‍मदिवस जापान जीतन राम मांझी जेडीयू जैन ज्योतिष टीम इंडिया टेक्‍नीकल टेक्‍नोलॉजी टेलीविजन टैलिप्राम्प्टर डाक विभाग डिजिटल इंडिया डिजीटल लॉकर डेरा सच्चा सौदा डॉ. अब्दुल कलाम तालिबान तेज प्रताप यादव द​ सन दिल्‍ली विधान सभा दिल्‍ली विधान सभा चुनाव देव अफीमची दैनिक जागरण दैनिक भास्कर द्वारकी धर्म धर्म परिवर्तन धोखा नई दुनिया नत्थुराम गोडसे नमो मंदिर नया संस्‍करण नरेंद्र मोद नरेंद्र मोदी नववर्ष नीतीश कुमार नीलगाय नूतन वर्ष पंजाब केसरी पंजाब सरकार पद्म विभूषण पवन कल्‍याण पाकिस्तान पान की दुकान पीके पेशावर हमला पोल प्‍यार प्रतिमा प्रमाणु समझौता प्रशासन प्रेम फिल्‍म जगत बजट सत्र बजरंग दल बराक ओबामा बाबा रामदेव बाहुबली बिग बॉस बिहार बीजेपी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ बॉलीवुड भगवान शिव भगवानपुर मंदिर भाजपा भारत भारतीय जनता पार्टी मनोरंजन ममता बनर्जी महात्मा गांधी महात्मा मंदिर महाराष्‍ट्र महेंद्र सिंह धोनी माता पिता मार्कंडेय काटजू मीडिया मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव मुसलमान मुस्लिम मोबाइल मोहन भागवत युवा पीढ़ी रविश कुमार राज बब्बर राजकुमार हिरानी राजनाथ सिंह राजनीति राजस्‍थान सरकार रामदेव राहुल गांधी रिश्‍ते रेप रेल बजट रेलवे मंत्री रोमन रोमन हिन्दी लघु कथा लीला सैमसन लोक वेदना लोकतंत्र वर्ष 2014 वर्ष 2015 वसुंधरा राजे वाहन विज्ञापन वित्‍त मंत्री विदेशी विराट कोहली विवाह विश्‍व वीआईपी कल्‍चर वैंकेटश वैलेंटाइन डे वॉट्सएप व्यंग शरद पावर शरद यादव शार्ली एब्‍दे शिवसेना शुभ अशुभ शेनाज ट्रेजरीवाला श्रीश्री श्रीश्री रविशंकर सकारात्‍मक रविवार संत गुरमीत राम रहीम सिंह सफलता समाजवाद समाजवादी पार्टी सरकार सरदार पटेल सलमान खान साक्षी महाराज सिख सिख समुदाय सुकन्‍या समृद्धि खाता सुंदरता सुरेश प्रभु सोनिया गांधी सोशल मीडिया स्वदेशी हास्‍य व्‍यंग हिंदी कोट्स हिंदु हिंदू हिंदू महासभा हिन्दी हिन्‍दू संगठन हेलमेट हैकर हॉलीवुड