पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को मेरा नमस्कार! आप अपनी सरकार के परिवहन मंत्री मदन मित्रा की गिरफ्तारी के बाद एक घायल शेरनी की तरह बर्ताव कर रही हैं। हालांकि, राजनीतिक आक्रामकता 'कानूनी लड़ाई' का तोड़ कभी नहीं हो सकती। देश का कानून सबूत मांगता है, भावनाएं इसके लिए किसी काम की नहीं हैं। आपको इस तरह की आक्रामकता से बचने की जरूरत है एवं कानूनी कार्यवाही का सम्मान करते हुए राज्य की प्रगति पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यदि आप इसी तरह सड़कों पर उतर कर कानूनी कार्यवाही को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं, तो आप स्वयं की जुझारू महिला नेता वाली छवि को धूमिल करते हैं।
एक मुख्यमंत्री होने के नाते ममता बनर्जी को संयम नहीं खोना चाहिए, बल्कि नरेंद्र मोदी की गुजरात सरकार को ध्यान में रखना चाहिए, जिस सरकार की तत्कालीन महिला एवं बाल विकास मंत्री माया कोडनानी को जेल की यात्रा तक करनी पड़ी।
जब आप अचानक उग्र भाव में आकर कहती हैं, ''यदि किसी केंद्रीय मंत्री को पश्चिमी बंगाल में गिरफ्तार कर लिया, तो आप क्या करेंगे ?'। उस समय आप लोकशाही एवं नौकरशाही को जोड़ने का प्रयास करते हुए वशीकरण का संकेत देती हैं। जो लोकतंत्रिक देश के लिए सबसे बड़ा ख़तरा है। सत्ता के बल पर नौकरशाही का इस्तेमाल करना, लोकशाही वाले देश में कलंक से अधिक कुछ नहीं। इससे तो राजनेता वर्ग को बचने की जरूरत है। मगर, लानत है कि पूरा राजनीतिक सिस्टम इस की चपेट में है।
आप राजनीति में बरसों से हैं। आपने अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत एक छात्र नेता के रूप में की। आपको अच्छी तरह पता है कि राजनीतिक पार्टियां किस तरह से एक दूसरे को दबाने का प्रयास करती हैं। इसमें संदेह नहीं कि एक मजबूत इमारत को गिराने के लिए उसके मजबूत स्तम्भों को हिलाया जाता है, ताकि इमारत जमीन पर गिरकर दम तोड़ दे।
आपको एक बात याद रखनी होगी कि कानूनी कार्यवाही अपनी जगह और राजनीतिक युद्घ अपनी जगह है। एक आम कहावत है कि प्रेम और युद्घ में सब कुछ जायज होता है। इसलिए, आपको धैर्य रखना होगा। भारतीय कानून का सम्मान करना होगा। कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए कानूनी तरीकों से लड़ना जरूरी रहता है।
यदि आपके मंत्री इस मामले से स्पष्ट छवि के साथ बाहर निकलते हैं तो आपकी पार्टी का आधार मजबूत होगा, यदि ऐसा नहीं होता तो जनता के साथ इंसाफ होगा एवं आप जनता का प्रतिनिधित्व करती हैं एवं जनता के साथ खड़े रहना आपका पहला दायित्व है।
हालांकि, समझ में आता है कि मदन मित्रा के साथ आपका बरसों पुराना नाता है एवं मदन मित्रा त्रिमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं। छात्र राजनीति में आप एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी भी रहे और समय ने पश्चिमी बंगाल के दो नेताओं को राजनीति के एक मंच पर लाकर खड़ा कर दिया।
रिश्ते कितने ही करीबी क्यों न हों, रिश्ते किसी भी कानूनी कार्यवाही को प्रभावित करने का अधिकार नहीं देते हैं। आप अपने स्तर पर कानूनी कार्यवाही में सहयोग करती हैं, ताकि देश की जनता को इंसाफ मिल सके एवं यदि आपके नेता साफ सुथरे हैं तो उनको क्लिनचिट मिल सके।
ख़बर मिली है कि त्रिमूल कांग्रेस के पूर्व सांसद सुचारू रंजन हलदर ने बीजेपी का दामन थमा लिया है। आपको सबसे पहले अपने पार्टी बिखराव को रोकना होगा। हो सकता है कि कानूनी कार्यवाही में मदन मित्रा जीत जाएं, एवं जमीनी लड़ाई में आपकी पार्टी बुरी तरह हार जाए।
एक मुख्यमंत्री होने के नाते ममता बनर्जी को संयम नहीं खोना चाहिए, बल्कि नरेंद्र मोदी की गुजरात सरकार को ध्यान में रखना चाहिए, जिस सरकार की तत्कालीन महिला एवं बाल विकास मंत्री माया कोडनानी को जेल की यात्रा तक करनी पड़ी।
जब आप अचानक उग्र भाव में आकर कहती हैं, ''यदि किसी केंद्रीय मंत्री को पश्चिमी बंगाल में गिरफ्तार कर लिया, तो आप क्या करेंगे ?'। उस समय आप लोकशाही एवं नौकरशाही को जोड़ने का प्रयास करते हुए वशीकरण का संकेत देती हैं। जो लोकतंत्रिक देश के लिए सबसे बड़ा ख़तरा है। सत्ता के बल पर नौकरशाही का इस्तेमाल करना, लोकशाही वाले देश में कलंक से अधिक कुछ नहीं। इससे तो राजनेता वर्ग को बचने की जरूरत है। मगर, लानत है कि पूरा राजनीतिक सिस्टम इस की चपेट में है।
आप राजनीति में बरसों से हैं। आपने अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत एक छात्र नेता के रूप में की। आपको अच्छी तरह पता है कि राजनीतिक पार्टियां किस तरह से एक दूसरे को दबाने का प्रयास करती हैं। इसमें संदेह नहीं कि एक मजबूत इमारत को गिराने के लिए उसके मजबूत स्तम्भों को हिलाया जाता है, ताकि इमारत जमीन पर गिरकर दम तोड़ दे।
आपको एक बात याद रखनी होगी कि कानूनी कार्यवाही अपनी जगह और राजनीतिक युद्घ अपनी जगह है। एक आम कहावत है कि प्रेम और युद्घ में सब कुछ जायज होता है। इसलिए, आपको धैर्य रखना होगा। भारतीय कानून का सम्मान करना होगा। कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए कानूनी तरीकों से लड़ना जरूरी रहता है।
यदि आपके मंत्री इस मामले से स्पष्ट छवि के साथ बाहर निकलते हैं तो आपकी पार्टी का आधार मजबूत होगा, यदि ऐसा नहीं होता तो जनता के साथ इंसाफ होगा एवं आप जनता का प्रतिनिधित्व करती हैं एवं जनता के साथ खड़े रहना आपका पहला दायित्व है।
हालांकि, समझ में आता है कि मदन मित्रा के साथ आपका बरसों पुराना नाता है एवं मदन मित्रा त्रिमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं। छात्र राजनीति में आप एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी भी रहे और समय ने पश्चिमी बंगाल के दो नेताओं को राजनीति के एक मंच पर लाकर खड़ा कर दिया।
रिश्ते कितने ही करीबी क्यों न हों, रिश्ते किसी भी कानूनी कार्यवाही को प्रभावित करने का अधिकार नहीं देते हैं। आप अपने स्तर पर कानूनी कार्यवाही में सहयोग करती हैं, ताकि देश की जनता को इंसाफ मिल सके एवं यदि आपके नेता साफ सुथरे हैं तो उनको क्लिनचिट मिल सके।
ख़बर मिली है कि त्रिमूल कांग्रेस के पूर्व सांसद सुचारू रंजन हलदर ने बीजेपी का दामन थमा लिया है। आपको सबसे पहले अपने पार्टी बिखराव को रोकना होगा। हो सकता है कि कानूनी कार्यवाही में मदन मित्रा जीत जाएं, एवं जमीनी लड़ाई में आपकी पार्टी बुरी तरह हार जाए।
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