अभी अभी अहमदाबाद की सड़कों पर आटो के पीछे कुछ बैनर देखे, जिसमें 14 फरवरी को माता पिता पूजन दिवस मनाने का निवेदन किया जा रहा है।
यह Valentine Day के सामने एक बड़ी लकीर खींचने की कोशिश है, जो बुरी बात नहीं है। एक सराहनीय प्रयास है। हालांकि, मैं दोनों में विश्वास नहीं करता, क्योंकि दोनों के लिए केवल एक दिन काफी नहीं है।
यह तो दिनचर्या का हिस्सा होना चाहिए। माता पिता की पूजा और प्रेम दोनों महान हैं। समय के साथ साथ मूल्यों में गिरावट आई है। हमने पैसे एवं सुख सुविधाओं को भावनाओं से सामने खड़ा कर दिया है। भावनाओं, आत्मीयता की लकीर अब छोटी लगने लगी है। प्रेम स्वभाव है, हालांकि, प्रेमी का चुनाव होने लगा है। चुनाव सुंदरता के आधार पर, चुनाव हैसियत के आधार पर, कभी कभी तो जाति के आधार पर, जहां चुनाव है, वहां लोकतंत्र हो सकता है, लेकिन स्वभाव नहीं।
प्रेम तो स्वभाव है और स्वभाव के लिए एक दिन नहीं हो सकता। यदि माता पिता के प्रति हमारे हृदय में मान सम्मान है, तो उसको प्रकट करने के लिए दिन का चुनाव अनुचित लगता है। माता पिता तो हमेशा बच्चों के लिए अपनी तरफ अच्छा करने की कोशिश करते हैं। हालांकि, बच्चे कभी कभी माता पिता के चुनाव में जुट जाते हैं। हम माता पिता को जायदाद, संपत्ति की तरह बांटने लगते हैं।
मगर, मेरे दिमाग में सवालिया कीड़ा कुरबल कुरबल करने लगा कि आखिर इस दिन युवा माता पिता पूजन दिवस मनाएंगे या माता पिता बनने के लिए राह तैयार करेंगे ? एक वर्तमान है तो दूसरा भविष्य।
#MaaBaappoojandiwas #Velentineday
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