क्या आपको पता है भारतीय डिजीटल लॉकर के बारे में ? चौंकिए मत ! डिजीटल लॉकर, नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया प्रोग्राम का अहम हिस्सा है। नए समय की नई सरकार की इस पहल के तहत आप अपना जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, शैक्षणिक प्रमाण पत्र जैसे अहम दस्तावेजों को ऑनलाइन स्टोर कर सकते हैं।
इस सुविधा को पाने के लिए बस आपके पास आधार कार्ड होना चाहिए। आधार का नंबर फीड कर आप डिजीटल लॉकर अकाउंट खोल सकते हैं। इस सुविधा की खास बात ये है कि एक बार लॉकर में अपने दस्तावेज अपलोड करने के बाद आप कहीं भी अपने सर्टिफिकेट की मूल के स्थान पर डिजीटल लॉकर का लिंक दे सकेंगे।
डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (डीईआईटीवाई) ने मंगलवार को डिजिटल लॉकर का बीटा वर्जन लॉन्च किया है। इस डिजीटल लॉकर को खोलने के लिए आपको http://digitallocker.gov.in/ वेबसाइट पर जाकर अपनी आईडी बनानी होगी।
मगर, ठहरिये! मैं इसकी सुरक्षा को लेकर संदेह में हूं। हैकरों की ताकत के आगे बड़े बड़े देश मात खा रहे हैं। ऐसे में इंटरनेट पर हमारा डाटा डालना कितना उचित है ? जब हम अपनी फेसबुक प्रोफाइल में डाटा डालने से डरते हैं, तो अपने कीमत दस्तावेज सरकारी वेबसाइट पर यूं ही कैसे उपलब्ध करवा सकते हैं ?
ज्ञात रहे कि इससे पहले अमेरिकी जासूस एडवर्ड स्नोडन ने जब अमेरिका की इंटरनेट के जरिये पूरी दुनिया की छानबीन करने की बात सामने आई थी, तो सरकार ने सरकारी कार्यालयों में जीमेल, याहू जैसी ईमेल सेवाओं के इस्तेमाल पर रोक लगाने को लेकर नीति बनाने की बात कही थी, क्योंकि इससे जानकारियां चोरी होने का संदेह बना रहता है। हालांकि, इस मामले में सरकार ने कदम आगे नहीं बढ़ाया।
उससे भी अधिक घातक हैकर गैंग होता है। ध्यान रहे कि गत नवंबर महीने में गोवा सरकार की छह आधिकारिक वेबसाइटों को फिलिस्तीन के किसी सर्वर से हैक किया गया था। इससे तीन सप्ताह पहले गोवा के राज्यपाल की आधिकारिक वेबसाइट पाकिस्तान के किसी सर्वर से हैक की गई थी। द इंटरव्यू फिल्म रिलीज होने से पहले सोनी पिक्चर्स पर हुए साइबर हमले के कारण अमेरिका और उत्तरी कोरिया आमने सामने हो गए थे।
हालांकि, अब भारत में बहुत कुछ डिजीटल हो चुका है। हमको डिजीटल युग लुभावने लगा है। फिर भी सवाल यह है कि इस तरह के ख़तरों के बीच क्या डिजीटल लॉकर सुरक्षित हो सकता है ? क्या यह विकल्प सही है ? क्या असल में इसकी जरूरत थी ? क्या यह दस्तावेजों के फर्जीवाडे को जन्म नहीं देगा ?
इस सुविधा को पाने के लिए बस आपके पास आधार कार्ड होना चाहिए। आधार का नंबर फीड कर आप डिजीटल लॉकर अकाउंट खोल सकते हैं। इस सुविधा की खास बात ये है कि एक बार लॉकर में अपने दस्तावेज अपलोड करने के बाद आप कहीं भी अपने सर्टिफिकेट की मूल के स्थान पर डिजीटल लॉकर का लिंक दे सकेंगे।
डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (डीईआईटीवाई) ने मंगलवार को डिजिटल लॉकर का बीटा वर्जन लॉन्च किया है। इस डिजीटल लॉकर को खोलने के लिए आपको http://digitallocker.gov.in/ वेबसाइट पर जाकर अपनी आईडी बनानी होगी।
मगर, ठहरिये! मैं इसकी सुरक्षा को लेकर संदेह में हूं। हैकरों की ताकत के आगे बड़े बड़े देश मात खा रहे हैं। ऐसे में इंटरनेट पर हमारा डाटा डालना कितना उचित है ? जब हम अपनी फेसबुक प्रोफाइल में डाटा डालने से डरते हैं, तो अपने कीमत दस्तावेज सरकारी वेबसाइट पर यूं ही कैसे उपलब्ध करवा सकते हैं ?
ज्ञात रहे कि इससे पहले अमेरिकी जासूस एडवर्ड स्नोडन ने जब अमेरिका की इंटरनेट के जरिये पूरी दुनिया की छानबीन करने की बात सामने आई थी, तो सरकार ने सरकारी कार्यालयों में जीमेल, याहू जैसी ईमेल सेवाओं के इस्तेमाल पर रोक लगाने को लेकर नीति बनाने की बात कही थी, क्योंकि इससे जानकारियां चोरी होने का संदेह बना रहता है। हालांकि, इस मामले में सरकार ने कदम आगे नहीं बढ़ाया।
उससे भी अधिक घातक हैकर गैंग होता है। ध्यान रहे कि गत नवंबर महीने में गोवा सरकार की छह आधिकारिक वेबसाइटों को फिलिस्तीन के किसी सर्वर से हैक किया गया था। इससे तीन सप्ताह पहले गोवा के राज्यपाल की आधिकारिक वेबसाइट पाकिस्तान के किसी सर्वर से हैक की गई थी। द इंटरव्यू फिल्म रिलीज होने से पहले सोनी पिक्चर्स पर हुए साइबर हमले के कारण अमेरिका और उत्तरी कोरिया आमने सामने हो गए थे।
हालांकि, अब भारत में बहुत कुछ डिजीटल हो चुका है। हमको डिजीटल युग लुभावने लगा है। फिर भी सवाल यह है कि इस तरह के ख़तरों के बीच क्या डिजीटल लॉकर सुरक्षित हो सकता है ? क्या यह विकल्प सही है ? क्या असल में इसकी जरूरत थी ? क्या यह दस्तावेजों के फर्जीवाडे को जन्म नहीं देगा ?
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