राहुल गांधी को नेता कहना नेता शब्द का अपमान करना होगा। नेता नेतृत्व करता है, लेकिन, राहुल गांधी कहीं भी नेतृत्व करते नजर नहीं आए। जब नेतृत्व करने की बात आती है तो राहुल गांधी पतली गली से निकल लेते हैं।
आज से बजट सत्र शुरू हो गया है, और राहुल गांधी का हॉलीडे सेशन भी। एक समय था, इस संसद से राहुल गांधी की आवाज पूरे देश तक पहुंची थी, और इंदिरा गांधी वाली कांग्रेस को नेहरू गांधी परिवार के नए चेहरे से बहुत सारी उम्मीदें बंध गई थी।
समय के साथ साथ उम्मीदें ही नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी भी रसातल में चली गई। इसके लिए जिम्मेवार भी राहुल गांधी हैं क्योंकि राहुल गांधी जिम्मेदारी संभालने के वक्त भाग लेते हैं। सबसे मजेदार बात यह है कि भारत की जनता शीर्ष नेता को तरजीह देती है क्योंकि उसको सशक्त नेता का नेतृत्व पसंद है।
बजट सेशन के साथ ही राहुल गांधी छुट्टी लेकर निकल गए। इस संसद में जब अटल बिहारी वाजपेयी बोले तो पूरे देश ने सुना। विपक्ष के पास सत्ता से अधिक कहने को होता है। विपक्ष के पिटारे में देश की तमाम समस्याएं होती हैं। विपक्ष सरकार को घेरे के लिए आजाद होता है। मगर, हैरानी कि राहुल गांधी छुट्टी लेकर निकल गए।
मुझे चिंता नहीं कि राहुल गांधी का राजनीतिक भविष्य क्या होगा ? मगर, लोकतंत्र में विपक्ष का मजबूत एवं प्रखर होना जरूरी होता है। यदि आज कांग्रेस के पास मुट्ठी भर सांसद बचें हैं, तो इसके लिए उनका नेतृत्व जिम्मेदार है, विशेषकर राहुल गांधी। फिर भी राहुल गांधी को दिल्ली विधान सभा से सीख लेनी चाहिए, जहां बीजेपी के पास तीन हैं, लेकिन फिर भी लड़ैत हैं, राजनीतिक तौर पर।
जहां राहुल गांधी को लम्बी छुट्टी की जरूरत है। वहीं, कांग्रेस को गैर नेहरू गांधी परिवार के चेहरे की जरूरत है। यह चेहरा कांग्रेस के प्रति जवाबदेह हो, नहीं कि नेहरू गांधी परिवार के प्रति।
आज से बजट सत्र शुरू हो गया है, और राहुल गांधी का हॉलीडे सेशन भी। एक समय था, इस संसद से राहुल गांधी की आवाज पूरे देश तक पहुंची थी, और इंदिरा गांधी वाली कांग्रेस को नेहरू गांधी परिवार के नए चेहरे से बहुत सारी उम्मीदें बंध गई थी।
समय के साथ साथ उम्मीदें ही नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी भी रसातल में चली गई। इसके लिए जिम्मेवार भी राहुल गांधी हैं क्योंकि राहुल गांधी जिम्मेदारी संभालने के वक्त भाग लेते हैं। सबसे मजेदार बात यह है कि भारत की जनता शीर्ष नेता को तरजीह देती है क्योंकि उसको सशक्त नेता का नेतृत्व पसंद है।
बजट सेशन के साथ ही राहुल गांधी छुट्टी लेकर निकल गए। इस संसद में जब अटल बिहारी वाजपेयी बोले तो पूरे देश ने सुना। विपक्ष के पास सत्ता से अधिक कहने को होता है। विपक्ष के पिटारे में देश की तमाम समस्याएं होती हैं। विपक्ष सरकार को घेरे के लिए आजाद होता है। मगर, हैरानी कि राहुल गांधी छुट्टी लेकर निकल गए।
मुझे चिंता नहीं कि राहुल गांधी का राजनीतिक भविष्य क्या होगा ? मगर, लोकतंत्र में विपक्ष का मजबूत एवं प्रखर होना जरूरी होता है। यदि आज कांग्रेस के पास मुट्ठी भर सांसद बचें हैं, तो इसके लिए उनका नेतृत्व जिम्मेदार है, विशेषकर राहुल गांधी। फिर भी राहुल गांधी को दिल्ली विधान सभा से सीख लेनी चाहिए, जहां बीजेपी के पास तीन हैं, लेकिन फिर भी लड़ैत हैं, राजनीतिक तौर पर।
जहां राहुल गांधी को लम्बी छुट्टी की जरूरत है। वहीं, कांग्रेस को गैर नेहरू गांधी परिवार के चेहरे की जरूरत है। यह चेहरा कांग्रेस के प्रति जवाबदेह हो, नहीं कि नेहरू गांधी परिवार के प्रति।
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