सैफई में वैभव कार्यक्रम चल रहा है। सैंकड़ों टैंट लगे हैं। लाखों मेहमानों के लिए खाना बन रहा है। खाना बनाने के लिए मुम्बई और अन्य शहरों से खाना बनाने वाले बुलाए हुए हैं। देश के प्रधानमंत्री समेत अन्य राजनीतिक हस्तियों ने शादी में शिरकत की। इस शादी में सदी के महानायक अमिताभ बच्चन भी जया बच्चन के साथ पहुंचे।
यह कार्यक्रम एक समाजवादी परिवार का था। समाजवादी परिवार के मुखिया मुलायम सिंह यादव के पोते तेज प्रताप यादव का तिलक कार्यक्रम था। तेज प्रताप की शादी लालू प्रसाद यादव की बिटिया राजलक्ष्मी से हो रही है। कुछ लोग इसको यूपी बिहार का गठबंधन कह रहे हैं। लेकिन, कोई नहीं कह रहा कि यह जंगलराज के राजाओं का मिलन समारोह है।
हालांकि, सोशल मीडिया पर कुछ चुटकियां लेते हुए कह रहे हैं कि सांप्रदायिक ताकतें मजबूत हो रही हैं, नरेंद्र मोदी के सामने 'मुला' यम सिंह के पोते का तिलक करवाया जा रहा है। यह बात तो जगजाहिर है कि समाजवादी परिवार की पूरी राजनीति अल्प संख्यकों मतलब मुस्लिम समुदाय पर आधारित है। हालांकि, आज के मुख्यातिथि नरेंद्र मोदी की लहर ने लोक सभा चुनावों में साइकल वालों के पास केवल पांच सांसद छोड़े, जो समाजवादी परिवार सदस्य हैं।
हैरान हूं कि मीडिया वाले सैफई का लाइव कवरेज इस तरह दिखा रहे हैं, जैसे भारत आज भी गुलाम हो और एक राज परिवार में शादी चल रही हो। किसी मीडिया चैनल ने इसको लेकर सवाल उठाने की जहमत नहीं की। किसी चैनल ने नहीं कहा कि तेज प्रताप की शादी के साथ समाजवाद का जनाजा भी निकल रहा है।
एक चैनल पर पत्रकार कवरेज के दौरान पीसी देते हुए कहा रहा था, नरेंद्र मोदी ने मेहमानों के साथ तेज प्रताप यादव पर गुलाब की पत्तियां बरसाई। सुनते ही अचानक मन से आवाज निकली, तो क्या नरेंद्र मोदी बॉम्ब फेंकते। शादी में आए हैं, बतौर मुख्यातिथि तो कुछ रसमें तो निभानी होंगी।
चैनल वालों को भूल गया, बच्चे गलतियां करते हैं। किसी कोने में दफन होगी कि पेड़ पर टंगी लड़कियां। किसी को याद ही नहीं आए नदी में मिले दो सौ से अधिक मानव कंकाल। बस याद था तो सैफई का नजारा। वहां आने वाले मेहमान और उनकी गाड़ियां।
कुछ महीनों बाद बिहार चुनाव हैं, इस बार लालटेन पूरी तरह गूल हो जाए। और वहीं यूपी की जनता भी साइकिल के चक्के निकालकर दिल्ली के चोर बाजार में बेच दे। समाजवाद की आढ़ में राजवाड़ों की शानो शौकत देखी नहीं जाती, विशेषकर, जब भारत की एक बड़ी आबादी भूखमरी और बेरोजगारी से लड़ रही हो।
यह कार्यक्रम एक समाजवादी परिवार का था। समाजवादी परिवार के मुखिया मुलायम सिंह यादव के पोते तेज प्रताप यादव का तिलक कार्यक्रम था। तेज प्रताप की शादी लालू प्रसाद यादव की बिटिया राजलक्ष्मी से हो रही है। कुछ लोग इसको यूपी बिहार का गठबंधन कह रहे हैं। लेकिन, कोई नहीं कह रहा कि यह जंगलराज के राजाओं का मिलन समारोह है।
हालांकि, सोशल मीडिया पर कुछ चुटकियां लेते हुए कह रहे हैं कि सांप्रदायिक ताकतें मजबूत हो रही हैं, नरेंद्र मोदी के सामने 'मुला' यम सिंह के पोते का तिलक करवाया जा रहा है। यह बात तो जगजाहिर है कि समाजवादी परिवार की पूरी राजनीति अल्प संख्यकों मतलब मुस्लिम समुदाय पर आधारित है। हालांकि, आज के मुख्यातिथि नरेंद्र मोदी की लहर ने लोक सभा चुनावों में साइकल वालों के पास केवल पांच सांसद छोड़े, जो समाजवादी परिवार सदस्य हैं।
हैरान हूं कि मीडिया वाले सैफई का लाइव कवरेज इस तरह दिखा रहे हैं, जैसे भारत आज भी गुलाम हो और एक राज परिवार में शादी चल रही हो। किसी मीडिया चैनल ने इसको लेकर सवाल उठाने की जहमत नहीं की। किसी चैनल ने नहीं कहा कि तेज प्रताप की शादी के साथ समाजवाद का जनाजा भी निकल रहा है।
एक चैनल पर पत्रकार कवरेज के दौरान पीसी देते हुए कहा रहा था, नरेंद्र मोदी ने मेहमानों के साथ तेज प्रताप यादव पर गुलाब की पत्तियां बरसाई। सुनते ही अचानक मन से आवाज निकली, तो क्या नरेंद्र मोदी बॉम्ब फेंकते। शादी में आए हैं, बतौर मुख्यातिथि तो कुछ रसमें तो निभानी होंगी।
चैनल वालों को भूल गया, बच्चे गलतियां करते हैं। किसी कोने में दफन होगी कि पेड़ पर टंगी लड़कियां। किसी को याद ही नहीं आए नदी में मिले दो सौ से अधिक मानव कंकाल। बस याद था तो सैफई का नजारा। वहां आने वाले मेहमान और उनकी गाड़ियां।
कुछ महीनों बाद बिहार चुनाव हैं, इस बार लालटेन पूरी तरह गूल हो जाए। और वहीं यूपी की जनता भी साइकिल के चक्के निकालकर दिल्ली के चोर बाजार में बेच दे। समाजवाद की आढ़ में राजवाड़ों की शानो शौकत देखी नहीं जाती, विशेषकर, जब भारत की एक बड़ी आबादी भूखमरी और बेरोजगारी से लड़ रही हो।
bahut badhiya sarcasam
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