बाबा रामदेव का काले धन को लेकर अनशन हो या अन्ना हजारे का जन लोकपाल बिल लाने को लेकर शुरू किया गया आंदोलन। दोनों की याद आती है तो याद आता है दिल्ली का रामलीला मैदान। मैदान के नाम से जाहिर होता है कि यहां पर दीवाली से पूर्व रामलीला का आयोजन किया जाता है। यहां आयोजित होने वाली रामलीला में श्रीराम और रावण के बीच छद्म युद्ध होता है, क्योंकि रामलीला में सभी कलाकार एक दूसरे की जान पहचान के होते हैं। उनको पता होता है कि वो केवल कुछ दिनों के लिए किरदार अदा कर रहे हैं। अंत, उनको अपने असल जीवन में ढलना है।
मगर, यहां एक अन्य लीला भी होती है। वो राजनेताओं की होती है। इस लीला में रावण हमेशा विरोधी पार्टियां होती हैं। स्वयं को राम कौन नहीं कहना चाहेगा। राम जो ठहरे मर्यादा पुरुषोत्तम। यहां हर आदमी एक दूसरे से उत्तम होने की दौड़ में है। चुनावों के दिनों में नेता भी हाथी सी फीलिंग लेकर गलियों मोहल्लों से गुजरते हैं। आलोचना करने वालों को कुत्तों से अधिक समझते भी नहीं। इन दिनों हर कोई देश की विकास पैसेंजर को सुपर फास्ट बनाने के दावे करता है। बस! शर्त इतनी सी है कि इंजन उसके नाम का होना चाहिए। महिलाएं संदेही स्वभाव की होती है। भारतीय नेताओं को देखने के बाद यह तर्क झूठा सा मालूम पड़ता है क्योंकि जितना संदेह इनमें पाया जाता है, अन्य किसी प्राणी में नहीं। इनकी लीला ही निराली है।
लीला से याद आया। आज देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रामलीला मैदान में थे। उनकी मेगा बजट रैली का आयोजन था। हालांकि, उनके होठों तले दबी हंसी बता रही थी कि उनकी स्थिति कुछ इस तरह की है, जैसे इंडिया टीम में खेलने वाला खिलाड़ी रणजी ट्राफी के लिए खेल रहा हो। रैली में दूर दराज से लोग आए होंगे। आख़िर देश के प्रधानमंत्री का लाइव भाषण कौन नहीं सुनना चाहेगा। मीडिया वाले भी अपने घरों से बड़े चौड़े होकर निकले होंगे। आख़िर एक महा रैली के साक्षी जो बनने वाले हैं। कुछ सालों बाद संस्मरण भी तो लिखने होंगे।
मगर, खोदा पहाड़ निकली चूहिया। जब मैंने प्रिय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के बारे में पढ़ा तो सोच में पड़ गया। प्रिय प्रधानमंत्री ने कहा, ''जो देश का मूड है, वही दिल्ली का भी मूड है।'' मैं भी गदगद हो उठा। मेरे अंदर खलबली सी मच गई। मैंने अपने आप से कहा, ''हे प्रिय, यदि आप इतने अंतर्यामी हैं तो प्रभु अपनी लीला का परिचय देते हुए इस रैली में विरोधियों पर हमला करने की जगह दिल्ली वासियों को अग्रिम शुक्रिया कह देते।''
मेरे प्रिय प्रधानमंत्री आप ने नवगठित पार्टी पर हमला बोलते हुए कहा, "जिन लोगों की मास्टरी धरना देने की है उनको वह काम करने दीजिए। हमारी मास्टरी सरकार चलाने में है इसलिए हमें यह काम सौंपिए।" मास्टरी से याद आया कि आप संघ परिवार से तालुक रखते हैं। और मैं जानना चाहूंगा कि उसके पास किस तरह मास्टरी है। हे प्रिय, जरा उसका इतिहास उठाकर बताएं। जरा नए भारत को बताएं कि जब भारत को आजादी मिल रही थी तो पुणे में कौन से ध्वज को लहराकर सलामी दी जा रही थी। जब देश में एक महिला दबंग नेता इंदिरा गांधी राज था तो आपकी पार्टी किस तरह की गतिविधियों का आयोजन कर रही थी। जरा खुलकर बताएंगे। आपको महात्मा गांधी सबसे प्रिय हैं। क्षमा करें! सत्याग्रह करना तो उन्होंने ही पूरे भारत को सिखाया है। आपका भाषण उसी तरह का मालूम पड़ता है, जैसे सनी लियोने कह रही हो, यदि अंग प्रदर्शन करना है तो पॉर्न दुनिया में चली जाएं। बॉलीवुड को मेरी जरूरत है क्योंकि मुझे अभिनय करना आता है।
प्रिय प्रधानमंत्री आपने कहा,'जिन लोगों ने दिल्ली का एक साल बर्बाद किया है। उनको सजा मिलनी चाहिए।' मैं आप से सहमत हूं। शत प्रतिशत सहमत हूं। किंतु, मैं इतना पूछता हूं कि आप दिल से बोल रहे हैं, या किसी पटकथा विशेषज्ञ के लिखे शब्दों को केवल आवाज दे रहे हैं। क्षमा करें, क्योंकि मैं आपको अब जम्मू कश्मीर की तरफ देखने को कहूंगा। जहां भाजपा एवं पीडीपी के कारण जनता का मतदान व्यर्थ जाने वाला है। मुझे पता है कि आप कुछ नहीं कहेंगे। आप बोलने वाले प्रधानमंत्री हैं। क्षमा करें, आप में संवाद क्षमता नहीं है। संवाद दो लोगों के बीच की वार्ता है। एक तरफ से दिया गया व्यक्तव्य संवाद नहीं कहलाता।
आप ने कहा, 'दिल्ली को मैं जनरेटर मुक्त बना दूंगा।' अर्थात 24 घंटे पूर्ण रूप से बिजली उपलब्ध करवाई जाएगी। आप देश के प्रधानमंत्री हैं। यकीनन, आप दिल्ली के मुख्यमंत्री तो बनेंगे नहीं। यदि आपके अधीनस्थ सरकार ऐसा करेगी तो मेरी इतनी सी जिज्ञासा है कि आप एक बार हरियाणा सरकार से जरूर पूछें कि वो अपने वादे 24 घंटे बिजली के अनुसार अब कितने घंटे बिजली हरियाणा के लोगों को उपलब्ध करवा रही है।
आप ने कहा, मेरी सरकार को सात महीने हो गए। भ्रष्टाचार का एक भी मामला सामने नहीं आया। लेकिन, आप ने यह नहीं बताया कि पिछले सात महीनों में आप की सरकार ने कितने अध्यादेश जारी किए। सच कहूं तो अध्यादेश राज आपकी सरकार में ही आया है। यकीन नहीं होता कि उस सरकार ने 15 दिन में सात अध्यादेश पारित कर दिए, जो संप्रग पर अध्यादेश राज लाने का आरोप लगा रही थी। पिछले सात महीनों में देश के आपको अधिक समय विदेश यात्रा पर देखा है। इसके अलावा मीडिया में केवल धर्म परिवर्तन, घर वापसी, बेटी बचाओ बहू लाओ, गीता का राष्ट्रीयकरण, स्कूलों में संस्कृत, चार बच्चे पैदा करो, सूर्य नमस्कार इत्यादि ही आया है।
वैसे दिल्ली में 2022 तक झोपड़ियों की संख्या बढ़कर कितनी हो सकती है ? क्योंकि मोदी जी आपकी घोषणा के बाद अब बेघर लोगों का नारा होगा दिल्ली चलो झुग्गी बनाओ। पक्की तो मोदी जी कर देंगे। हां, पर अहमदाबाद वाले पूछ रहे हैं कि उनकी झुग्गियो में कब तक बिनानी सीमेंट लग जाएगा। सदियों के लिए।
मगर, यहां एक अन्य लीला भी होती है। वो राजनेताओं की होती है। इस लीला में रावण हमेशा विरोधी पार्टियां होती हैं। स्वयं को राम कौन नहीं कहना चाहेगा। राम जो ठहरे मर्यादा पुरुषोत्तम। यहां हर आदमी एक दूसरे से उत्तम होने की दौड़ में है। चुनावों के दिनों में नेता भी हाथी सी फीलिंग लेकर गलियों मोहल्लों से गुजरते हैं। आलोचना करने वालों को कुत्तों से अधिक समझते भी नहीं। इन दिनों हर कोई देश की विकास पैसेंजर को सुपर फास्ट बनाने के दावे करता है। बस! शर्त इतनी सी है कि इंजन उसके नाम का होना चाहिए। महिलाएं संदेही स्वभाव की होती है। भारतीय नेताओं को देखने के बाद यह तर्क झूठा सा मालूम पड़ता है क्योंकि जितना संदेह इनमें पाया जाता है, अन्य किसी प्राणी में नहीं। इनकी लीला ही निराली है।
लीला से याद आया। आज देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रामलीला मैदान में थे। उनकी मेगा बजट रैली का आयोजन था। हालांकि, उनके होठों तले दबी हंसी बता रही थी कि उनकी स्थिति कुछ इस तरह की है, जैसे इंडिया टीम में खेलने वाला खिलाड़ी रणजी ट्राफी के लिए खेल रहा हो। रैली में दूर दराज से लोग आए होंगे। आख़िर देश के प्रधानमंत्री का लाइव भाषण कौन नहीं सुनना चाहेगा। मीडिया वाले भी अपने घरों से बड़े चौड़े होकर निकले होंगे। आख़िर एक महा रैली के साक्षी जो बनने वाले हैं। कुछ सालों बाद संस्मरण भी तो लिखने होंगे।
मगर, खोदा पहाड़ निकली चूहिया। जब मैंने प्रिय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के बारे में पढ़ा तो सोच में पड़ गया। प्रिय प्रधानमंत्री ने कहा, ''जो देश का मूड है, वही दिल्ली का भी मूड है।'' मैं भी गदगद हो उठा। मेरे अंदर खलबली सी मच गई। मैंने अपने आप से कहा, ''हे प्रिय, यदि आप इतने अंतर्यामी हैं तो प्रभु अपनी लीला का परिचय देते हुए इस रैली में विरोधियों पर हमला करने की जगह दिल्ली वासियों को अग्रिम शुक्रिया कह देते।''
मेरे प्रिय प्रधानमंत्री आप ने नवगठित पार्टी पर हमला बोलते हुए कहा, "जिन लोगों की मास्टरी धरना देने की है उनको वह काम करने दीजिए। हमारी मास्टरी सरकार चलाने में है इसलिए हमें यह काम सौंपिए।" मास्टरी से याद आया कि आप संघ परिवार से तालुक रखते हैं। और मैं जानना चाहूंगा कि उसके पास किस तरह मास्टरी है। हे प्रिय, जरा उसका इतिहास उठाकर बताएं। जरा नए भारत को बताएं कि जब भारत को आजादी मिल रही थी तो पुणे में कौन से ध्वज को लहराकर सलामी दी जा रही थी। जब देश में एक महिला दबंग नेता इंदिरा गांधी राज था तो आपकी पार्टी किस तरह की गतिविधियों का आयोजन कर रही थी। जरा खुलकर बताएंगे। आपको महात्मा गांधी सबसे प्रिय हैं। क्षमा करें! सत्याग्रह करना तो उन्होंने ही पूरे भारत को सिखाया है। आपका भाषण उसी तरह का मालूम पड़ता है, जैसे सनी लियोने कह रही हो, यदि अंग प्रदर्शन करना है तो पॉर्न दुनिया में चली जाएं। बॉलीवुड को मेरी जरूरत है क्योंकि मुझे अभिनय करना आता है।
प्रिय प्रधानमंत्री आपने कहा,'जिन लोगों ने दिल्ली का एक साल बर्बाद किया है। उनको सजा मिलनी चाहिए।' मैं आप से सहमत हूं। शत प्रतिशत सहमत हूं। किंतु, मैं इतना पूछता हूं कि आप दिल से बोल रहे हैं, या किसी पटकथा विशेषज्ञ के लिखे शब्दों को केवल आवाज दे रहे हैं। क्षमा करें, क्योंकि मैं आपको अब जम्मू कश्मीर की तरफ देखने को कहूंगा। जहां भाजपा एवं पीडीपी के कारण जनता का मतदान व्यर्थ जाने वाला है। मुझे पता है कि आप कुछ नहीं कहेंगे। आप बोलने वाले प्रधानमंत्री हैं। क्षमा करें, आप में संवाद क्षमता नहीं है। संवाद दो लोगों के बीच की वार्ता है। एक तरफ से दिया गया व्यक्तव्य संवाद नहीं कहलाता।
आप ने कहा, 'दिल्ली को मैं जनरेटर मुक्त बना दूंगा।' अर्थात 24 घंटे पूर्ण रूप से बिजली उपलब्ध करवाई जाएगी। आप देश के प्रधानमंत्री हैं। यकीनन, आप दिल्ली के मुख्यमंत्री तो बनेंगे नहीं। यदि आपके अधीनस्थ सरकार ऐसा करेगी तो मेरी इतनी सी जिज्ञासा है कि आप एक बार हरियाणा सरकार से जरूर पूछें कि वो अपने वादे 24 घंटे बिजली के अनुसार अब कितने घंटे बिजली हरियाणा के लोगों को उपलब्ध करवा रही है।
आप ने कहा, मेरी सरकार को सात महीने हो गए। भ्रष्टाचार का एक भी मामला सामने नहीं आया। लेकिन, आप ने यह नहीं बताया कि पिछले सात महीनों में आप की सरकार ने कितने अध्यादेश जारी किए। सच कहूं तो अध्यादेश राज आपकी सरकार में ही आया है। यकीन नहीं होता कि उस सरकार ने 15 दिन में सात अध्यादेश पारित कर दिए, जो संप्रग पर अध्यादेश राज लाने का आरोप लगा रही थी। पिछले सात महीनों में देश के आपको अधिक समय विदेश यात्रा पर देखा है। इसके अलावा मीडिया में केवल धर्म परिवर्तन, घर वापसी, बेटी बचाओ बहू लाओ, गीता का राष्ट्रीयकरण, स्कूलों में संस्कृत, चार बच्चे पैदा करो, सूर्य नमस्कार इत्यादि ही आया है।
वैसे दिल्ली में 2022 तक झोपड़ियों की संख्या बढ़कर कितनी हो सकती है ? क्योंकि मोदी जी आपकी घोषणा के बाद अब बेघर लोगों का नारा होगा दिल्ली चलो झुग्गी बनाओ। पक्की तो मोदी जी कर देंगे। हां, पर अहमदाबाद वाले पूछ रहे हैं कि उनकी झुग्गियो में कब तक बिनानी सीमेंट लग जाएगा। सदियों के लिए।
अंत में
एक मफलर वाले को हराने के लिए दिल्ली की भाजपा ईकाई को देश के प्रधानमंत्री सहित अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों के जमावड़े की जरूरत पड़ रही है। बस इतना कहूंगा कि अरविंद केजरीवाल के पास गंवाने के लिए कुछ नहीं है और पाने के लिए छोड़ी हुई दिल्ली की कुर्सी है। यदि आप हार गए तो...... चल छोड़ो जाने दो। आप नहीं समझेंगे। आप प्रधानमंत्री हैं।
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अपने बहुमूल्य विचार रखने के लिए आपका धन्यवाद