'हमारा मीडिया भ्रमित है। वह कहता है कि अमेरिकी वेधशाला बताते हैं सूर्य ग्रहण और चंद्रग्रहण किस तारीख को लगेगा... मैं कहता हूं मत देखो वेधशाला की तरफ, पड़ोस में कोई भी पंडित जी होंगे। वह पंचांग खोलेंगे और 100 साल पहले से 100 साल बाद का ग्रहण बता देंगे।'
यह शब्द केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के हैं। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के दौरान कहे। यकीनन, हमारे पंडितों के पास बहुत सारा ज्ञान है।
मगर, राजनाथ श्री यहां तक मुझे याद है। हमारे किस पंडित ने आज तक चंद्रमा पर किसी व्यक्ति को नहीं भेजा और न ही आज तक किस पंडित ने मंगल ग्रह पर जाकर आसन जमाया। आपकी उंगलियों मे पहने रत्न बताते हैं कि आप ज्योतिष विद्या में विश्वास करते हैं। जो करना बुरी बात नहीं है। वैदिक ज्योतिष सदियों से विश्वसनीय है।
मगर, आप के दाहिने हाथ पर सुनहरे रंग की एक घड़ी हमेशा विराजमान रहती है। इस घड़ी सूईयां समय बिताती हैं और घड़ी व्यक्ति का समय बताती है। मैंने कभी घड़ी नहीं बांधी। मेरे घर में बहुत वर्षों तक टाइम पीस भी नहीं हुआ करता था। मगर, मेरी माता सूर्य के ढलते परछाये के साथ समय का अंदाजा लगा लेती थी। मेरे पिता रात को खेतों में पानी लगाते समय तारों को देखकर समय समझ लेते थे। मगर, यह केवल अनुमान होता था। यह पक्की पक्की या सटीक जानकारी नहीं होती थी।
आज आपके हाथ में बांधी हुई घड़ी सटीक समय देती है। आपके बगल में खड़े हुए व्यक्ति की घड़ी से एक दो सेकंड के अंतर से चल रही हो सकती है। मगर, एक दो संकेड का अंतर अधिक मायने नहीं रखता है। मगर, अब मैं शहर में नौकरी करता हूं। मेरे कार्यालय में बायो मैटिक हाजिरी सिस्टम है। मुझे उसके हिसाब से दौड़ना पड़ता है। मेरे पास समय नहीं कि मैं सूर्य के उगने से समय की गणना कर पाउं।
और सबसे दिलचस्प बात तो कहना चाहूंगा कि आज पंडित भी टेक्नो दीवाने हो रहे हैं। आज कल वो भी जन्म कुंडली कंप्यूटर में फटाफट बनाने लगें हैं। हां, जिनके पास अभी तक सुविधा नहीं पहुंची, वो कागज काले कर रहे हों, मैं इस संदर्भ में अधिक कुछ नहीं कह सकता।
भारत में डिग्री आधारित शिक्षा प्रणाली को खत्म कर देते हैं क्योंकि हमारे ऋषियों मुनियों के पास कौन सी डिग्रियां थी। उनकी शिक्षा आज की शिक्षा से बेहतर थी। उनके अनुमान आज के विज्ञान से अधिक सटीक थे। यदि आप डिग्री व्यवस्था को खत्म कर दें तो स्मृति ईरानी को लेकर चल रहा विवाद भी खत्म हो जाएगा। उनकी तरह हम भी पंडित से जाकर पूछेंगे कि हमारे नसीब में प्रधानमंत्री बनना लिखा है या नहीं ?
सुनना है कि हिल्टर को किसी ने कहा था, तुम्हारे हाथों में सत्ता प्राप्ति की लकीर नहीं है अर्थात राज्य योग नहीं। और जिद्दी हिटलर ने चाकू से हाथ पर रक्त से लथ पथ लकीर खींच डाली थी। और लथ पथ धरती पर उसकी हुकूमत की दुनिया गवाह बन गई। आप भारत को किसी तरफ लेकर जाना चाहते हैं। राजनाथ सिंह स्पष्ट करें।
यह शब्द केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के हैं। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के दौरान कहे। यकीनन, हमारे पंडितों के पास बहुत सारा ज्ञान है।
मगर, राजनाथ श्री यहां तक मुझे याद है। हमारे किस पंडित ने आज तक चंद्रमा पर किसी व्यक्ति को नहीं भेजा और न ही आज तक किस पंडित ने मंगल ग्रह पर जाकर आसन जमाया। आपकी उंगलियों मे पहने रत्न बताते हैं कि आप ज्योतिष विद्या में विश्वास करते हैं। जो करना बुरी बात नहीं है। वैदिक ज्योतिष सदियों से विश्वसनीय है।
मगर, आप के दाहिने हाथ पर सुनहरे रंग की एक घड़ी हमेशा विराजमान रहती है। इस घड़ी सूईयां समय बिताती हैं और घड़ी व्यक्ति का समय बताती है। मैंने कभी घड़ी नहीं बांधी। मेरे घर में बहुत वर्षों तक टाइम पीस भी नहीं हुआ करता था। मगर, मेरी माता सूर्य के ढलते परछाये के साथ समय का अंदाजा लगा लेती थी। मेरे पिता रात को खेतों में पानी लगाते समय तारों को देखकर समय समझ लेते थे। मगर, यह केवल अनुमान होता था। यह पक्की पक्की या सटीक जानकारी नहीं होती थी।
आज आपके हाथ में बांधी हुई घड़ी सटीक समय देती है। आपके बगल में खड़े हुए व्यक्ति की घड़ी से एक दो सेकंड के अंतर से चल रही हो सकती है। मगर, एक दो संकेड का अंतर अधिक मायने नहीं रखता है। मगर, अब मैं शहर में नौकरी करता हूं। मेरे कार्यालय में बायो मैटिक हाजिरी सिस्टम है। मुझे उसके हिसाब से दौड़ना पड़ता है। मेरे पास समय नहीं कि मैं सूर्य के उगने से समय की गणना कर पाउं।
और सबसे दिलचस्प बात तो कहना चाहूंगा कि आज पंडित भी टेक्नो दीवाने हो रहे हैं। आज कल वो भी जन्म कुंडली कंप्यूटर में फटाफट बनाने लगें हैं। हां, जिनके पास अभी तक सुविधा नहीं पहुंची, वो कागज काले कर रहे हों, मैं इस संदर्भ में अधिक कुछ नहीं कह सकता।
भारत में डिग्री आधारित शिक्षा प्रणाली को खत्म कर देते हैं क्योंकि हमारे ऋषियों मुनियों के पास कौन सी डिग्रियां थी। उनकी शिक्षा आज की शिक्षा से बेहतर थी। उनके अनुमान आज के विज्ञान से अधिक सटीक थे। यदि आप डिग्री व्यवस्था को खत्म कर दें तो स्मृति ईरानी को लेकर चल रहा विवाद भी खत्म हो जाएगा। उनकी तरह हम भी पंडित से जाकर पूछेंगे कि हमारे नसीब में प्रधानमंत्री बनना लिखा है या नहीं ?
सुनना है कि हिल्टर को किसी ने कहा था, तुम्हारे हाथों में सत्ता प्राप्ति की लकीर नहीं है अर्थात राज्य योग नहीं। और जिद्दी हिटलर ने चाकू से हाथ पर रक्त से लथ पथ लकीर खींच डाली थी। और लथ पथ धरती पर उसकी हुकूमत की दुनिया गवाह बन गई। आप भारत को किसी तरफ लेकर जाना चाहते हैं। राजनाथ सिंह स्पष्ट करें।
एक तरफ प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी डिजिटल इंडिया देखना चाहता है और एक तरफ आप पुराने रीति रिवाजों में विश्वास करने वाला भारत देखना चाहते हैं। स्पष्ट करो। आप दीक्षांत समारोह में हैं। डिग्री बांट रहे हैं। आप युवा पीढ़ी को संदेश दे रहे हैं। यह किस तरह का विरोधाभास है कि हाथ में घड़ी है या तारों को देखकर समय देखने वाली दुनिया पर नजर खड़ी है।
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