सेंसर बोर्ड की प्रमुख लीला सैमसन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार फिल्म मैसेंजर ऑफ गॉड को रिलीज की सरकारी मंजूरी मिलने को लेकर उन्होंने इस्तीफा दिया है। जो मीडिया कह रहा है, क्या सत्य है ? मुझे संदेह है। मेरे संदेह का मुख्य कारण पिछले दिनों रिलीज हुई पीके है, जिसका हिंदू संगठनों ने पुरजोर विरोध किया था। इस विरोध में हिंदू संगठनों के निशाने पर फिल्म निर्माता निर्देशक कम और अभिनेता आमिर खान एवं लीला सैमसन अधिक रहीं। उनका विरोध केवल इन दो हस्तियों के खिलाफ ही था। आमिर ख़ान किसी पद पर नहीं हैं, वो स्वतंत्र अभिनेता हैं। मगर, लीला सैमसन सेंसर बोर्ड के पद पर थी। इसलिए उनको आसानी से निशाना बनाया जा सकता था।
एक स्वयंभू हिंदू हितैषी ख़बरिया चैनल तो सीधे सीधे कह रहा था, देखते हैं कि कितने दिन तक लीला सैमसन अपने पद पर बनी रह सकती हैं। संकेत को उस दिन मिल गए थे, मगर, सरकार सीधे सीधे हस्तक्षेप नहीं कर पा रही थी। ऐसे में एमएसजी मैसेंजर ऑफ गॉड को मुद्दा बनाया गया। हालांकि, पीटीआई के अनुसार जब लीला सैमसन से पूछा गया कि क्या उन्हें एफ़सीएटी की मंजूरी के बारे में पता है तो उनका कहना था, '' मैंने ऐसा सुना है लेकिन लिखित तौर पर कुछ भी नहीं पता। फिर भी यह सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ सर्टिफ़िकेशन का मज़ाक उड़ाना है। मेरा इस्तीफा पक्का है। मैंने सचिव सूचना और प्रसारण मंत्रालय को बता दिया है।' इस मतलब साफ है कि लीला सैमसन पहले से मन बना चुकी थी क्योंकि उनके पास अभी तक फिल्म के रिलीज होने संबंधित आधिकारिक जानकारी नहीं पहुंची। मैंने कभी नहीं सुना कि जब सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट के फैसले को पलटती है तो हाईकोर्ट का जस्टिस अपने पद से इस्तीफा दे देता है।
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, लीला सैमसन ने कहा, 'उनके काम में सरकार निरंतर हस्तक्षेप कर रही है।' साथ ही, उन्होंने पीके का नाम भी लिया है। हालांकि, सरकार इस तरह के किसी हस्तक्षेप से इंकार कर रही है। सरकार इंकार करे या न करें। पीके को लेकर जिस तरह का माहौल देश में बनाया गया। और उसके बाद जिस तरह लीला सैमसन को निशाना बनाया गया। पूरा घटनाक्रम बताता है कि देश में कुछ ताकतें किस तरह सक्रिय हो रही हैं। एक अन्य बात एमएसजी किसी देवता या भगवान पर नहीं बनाई गई। वो फिल्म एक धार्मिक संस्थान के अध्यात्म गुरू ने अपने अनुयायियों के लिए बनायी है। इसमें उन्होंने स्वयं अभिनय किया है। उन्होंने किसी भगवान की वेशभूषा धारण नहीं की, जिसके कारण लोगों की भावनाएं आहत हों। यदि उसका विरोध कुछ संगठन केवल अपने स्वार्थ के कारण कर रहे हैं, तो उनसे सुरक्षा मुहैया करवाने के लिए गृह मंत्रालय को आगे आना चाहिए। यदि फिल्म के कुछ दृश्य किसी धर्म या समुदाय पर कटाक्ष करते हैं तो उन सीनों को हटाया जा सकता है।
अंत में
हरियाणा के डेरा सच्चा सौदा के प्रवक्ता ने कहा, "हमें मिली सूचना के आधार पर एफसीएटी ने फिल्म रिलीज को मंजूरी दे दी है लेकिन लिखित में फैसले का इंतजार है।"
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हरियाणा के डेरा सच्चा सौदा के प्रवक्ता ने कहा, "हमें मिली सूचना के आधार पर एफसीएटी ने फिल्म रिलीज को मंजूरी दे दी है लेकिन लिखित में फैसले का इंतजार है।"
Achchha Vishleshan!
ReplyDeleteSarkaaren hamesha se hi apni zabardasti chalati aai hain...
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