नमस्कार
एक औरत खड़ी है, 26 - 27 वर्ष की , तुम कहोगे, लड़की कहो। मैं कहूँगा, ठहरो ! आप पूरा वाक्य सुनें। उसके अगल बगल में गोद चढ़े दो बच्चे हैं। तीसरा उसके उभरे हुए पेट से मुझे आने का संकेत दे रहा है। उसकी ऊँगली पकड़े लिफ्ट राईट में दो शहर की स्लम बस्ती से गंदे मटमैले कपड़े पहने बच्चे खड़े हैं। यह दृश्य इंदौर के पलासिया चौराहे का , बठिंडा के हुनमान चौंक का, अहमदाबाद के इनकम टेक्स सर्किल का या दिल्ली के चाँदनी चौंक का है, यह पक्का पक्का याद नहीं, हाँ इतना पक्का है कि यह भारत के किसी शहर का है। और सच में यह महान चित्रकार पाब्लो पिकासो की कल्पना से उपजा चित्र नहीं है। हाँ, शत प्रतिशत सत्य है।
यदि आपको संदेह हो तो आप हाथ पर हाथ मारकर मुझ से शर्त लगा सकते हो। बस आपको मेरे साथ चलना होगा। हो सकता है कि आपको लगे मैं आपको अपने द्वारा तैयार किये नाटक दिखा दूँ। और आप हार जाएँ। तो आप के लिए एक और विकल्प है। हाँ । है ।
आप भारत का कोई सा भी महानगर चुनें। और आप उस महानगर के निम्न स्थलों का दौरा करें। किसी व्यस्त सर्किल का । किसी मंदिर का । किसी रेलवे स्टेशन का।
आपको जीवंत दृश्य देखने को मिल जायेगा। हाँ। मेरी शर्त है । शर्त अर्थात कंडीशन । आप इस दृश्य की नायिका से एक बच्चा सेना के लिए। एक बच्चा संन्यासी के लिए। दो को स्कूल छोड़ने के लिए ले लेना और महिला को हॉस्पिटल छोड़ आएं - परिवार नियोजन के लिए। और इसको समझाना के भगवान का प्रसाद सीमित होता है।
इससे एक और समस्या से बच जाएँगे। आप को बीजेपी कारण बताओ नोटिस जारी नहीं करेगी। एक मिसेड कॉल करवा बीजेपी की मेम्बरशिप दिलवा देना।
एक अन्य बात यदि इनके पास आप से पहले कोई ईसाई पहुँच गया तो इसके लिए जिम्मेदार आप होंगे।
अभी मैं उसी जगह लौट रहा हूँ। जहाँ मैं हूँ। अपनी आँगन वाली खटिया पर। जहां सूर्य की रौशनी मेरे माथे के बीचोबीच पड़ रही है। मेरा ज्ञान चिक्षु रौशन हो उठा है।
मुझे आसमान में उड़ रहे पतंगों की सर सर आवाज़ आ रही है। आज उत्तरायन है। गुजरात में पतंग उड़ते हैं, इस दिन।
राम राम
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अपने बहुमूल्य विचार रखने के लिए आपका धन्यवाद